राजस्थान के पेंशन व्यय में आया है भारी उछाल | सचिन मामबटा / मुंबई March 05, 2022 | | | | |
राजस्थान सरकार की ओर से पेंशन के लिए आवंटित रकम में अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले तेजी से वृद्घि हुई है।
इस मद में राज्य सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2021 में आवंटित रकम 2010-11 के मुकाबले 4.5 गुना अधिक है। इसी अवधि में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पेंशन के लिए आवंटित रकम को मिलाकर देखें तो उसमें 3.6 गुना की वृद्घि हुई है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आई है।
राजस्थान ने हाल ही में इसकी घोषणा की कि वह परिभाषित योगदान पेंशन योजना के रुझान को पलटते हुए दोबारा से परिभाषित लाभ योजना की तरफ जाएगा। एक रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसा राजकोषीय दबावों के कारण हो सकता है।
दिल्ली स्थित पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की ओर से जारी एक नोट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में राजस्थान सरकार के राजकोषीय घाटे पर संशोधित अनुमान सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 6.12 फीसदी पर पहुंच गया। बजट के समय पर यह जीएसडीपी का 2.99 फीसदी नजर आया था। 2019-20 में यह जीएसडीपी का 3.77 फीसदी रहा था। कराज्य का राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय और आमदनी के बीच का अंतर होता है। इस अंतर को अर्थव्यवस्था के आकार यानी कि जीएसडीपी के प्रतिशत के तौर पर दिखाया जाता है।
राजस्थान पर वित्तीय दबाव आंशिक तौर पर ऐसे खर्चों से प्रेरित है जिसमें वह कटौती नहीं कर सकता है। उदाहरण के तौर पर वित्त वर्ष 2021 के बजट अनुमान के मुताबिक उसके अपने कर और गैर कर राजस्वों में पेंशन भुगतान की पहले से ही 24.2 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह आंकड़ा कम है। पेंशन ही एकमात्र चिंता की बात नहीं है। राज्य को हर साल भारी भरकम ब्याज भुगतान भी करना होता है। ब्याज पर व्यय होने वाली राशि उसके अपने कर और गैर-कर राजस्वों का 26.4 फीसदी है। वहीं, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए यह आंकड़ा 22 फीसदी है।
इस प्रकार कर और गर-कर राजस्वों के आधे से अधिक रकम पेंशन और ब्याज भुगतानों में चला जाता है। यदि इसमें वेतन को भी शामिल कर लिया जाए तो यह हिस्सेदारी और अधिक बढ़ जाएगी।
पीआरएस के मुताबिक, 'राज्य के समर्पित खर्चे में विशेष तौर पर वेतन, पेंशन और ब्याज पर होने वाला खर्च शामिल होता है। बजट का एक बड़ा हिस्सा समर्पित खर्च मदों के लिए आवंटित होने से राज्य की ओर से पूंजीगत परिव्यय जैसे अन्य व्यय प्रमुखताओं पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। 2021-22 में राजस्थान ने समर्पित व्यय पर 1.14 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया है जो कि वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले सालाना 10 फीसदी अधिक है। यह वित्त वर्ष 2022 के लिए राज्य के अनुमानित राजस्व प्राप्तियों का 62 फीसदी है।'
वित्त वर्ष 2022 में राजस्थान का राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 3.98 फीसदी रहने का अनुमान है।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2022 में उसके अपने कर राजस्व में वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 23 फीसदी का इजाफा होगा।
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