रूस और यूक्रेन का युद्घ तो यूक्रेन की धरती पर छिड़ा है मगर परेशानी दिल्ली के चाणक्यपुरी में हो रही है। चाणक्यपुरी का यशवंत प्लेस बाजार रशियन बाजार के नाम से मशहूर है और यहां के कारोबारी यूक्रेन में चल रही लड़ाई से परेशान हो गए हैं। दो साल से कोरोना का मार झेल रहे इस बाजार के कारोबारियों को इस साल सुधार की उम्मीद थी मगर सोवियत संघ के खत्म होने से अलग हुए दोनों देशों की जंग उनकी उम्मीदों पर पानी फेर सकती है।
50 साल से भी ज्यादा पुराने यशवंत प्लेस बाजार को रशियन बाजार इसलिए कहा जाता है क्योंकि रूस और यूक्रेन के पर्यटक यहां खूब आते हैं और यहां के चमड़ा उत्पाद उन्हें बहुत भाते हैं। इस बाजार के 80 फीसदी से ज्यादा ग्राहक इन दोनों देशों से ही आते हैं। 2000 में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की पत्नी भी इस बाजार में आई थीं। बाजार में 125 दुकानें हैं, जिनका सालाना कारोबार कोरोना से पहले 50 से 60 करोड़ रुपये था। इस बाजार में चमड़े का सामान मसलन पर्स, बेल्ट, बैग, कैप, जैकेट व चमड़े की पोशाक तो बिकती ही हैं, कालीन और रत्नाभूषण भी खूब बिकते हैं।
खरीदार इसलिए भी यहां से खरीदारी करते हैं कि यहां चमड़े का असली माल सस्ते दाम पर मिल जाता है। चमड़े के पर्स, बेल्ट, बैग, जैकेट की खूब बिक्री होती है। पर्स 200 से लेकर 1,000 रुपये, बैग 2,000 रुपये तक और जैकेट 1,000 से 5,000 रुपये में मिल जाते हैं।
यशवंत प्लेस ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विजय अरोड़ा कहते हैं कि इस बाजार के कारोबारी रूस और यूक्रेन के खरीदारों पर ही ज्यादा निर्भर हैं। इन देशों के पर्यटक हमारे उत्पादों को खूब पसंद करते हैं और हमें भी उनकी पसंद अच्छी तरह मालूम है, इसलिए कारोबारी उनकी पसंद के अनुरूप उत्पाद बनवाकर रखते हैं। कई बार इन देशों के लोग थोक में भी खरीद करते हैं, जिनके ऑर्डर उनके आने से पहले मिल जाते हैं।
अरोड़ा ने कहा कि बीते दो साल से कोरोना के कारण इस बाजार का कारोबार लगभग ठप ही रहा है और कारोबारियों के लिए खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि हवाई उड़ानें लगभग बंद होने से पर्यटक बहुत कम आए। अब तीसरी लहर लगभग समाप्त होने के बीच उड़ानें शुरू होने की संभावना से पर्यटकों के आने के आसार बने थे और इससे कारोबार सुधरने की उम्मीद थी मगर रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। ऐसे हालात में इन दोनों देशों से फिलहाल और युद्ध समाप्त होने के बाद आगे भी पर्यटकों के कम आने के आसार हैं। आने वाले खरीदारों के भी अधिक खरीदारी करने की संभावना नहीं है। लिहाजा इस साल भी कारोबार मंदा ही रहेगा।
यशवंत प्लेस बाजार के कारोबारी उर्मित सिंह ने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि इस बाजार में पूरी दुकानें भी नहीं खुल रही हैं। दिन में एक-दो सामान बिकना भी दूभर हो गया है। इसी बाजार के चमड़ा परिधान कारोबारी रमन चावला कहते हैं कि इन दिनों बाजार में 10 फीसदी भी बिक्री भी नहीं हो रही है। अगले कुछ महीनों तक कारोबार सुधरने की उम्मीद कम ही है क्योंकि रूस की आर्थिक स्थिति भी युद्ध के कारण खराब होने वाली है। ऐसे में रूस से कम ही पर्यटकों के आने की संभावना है और जो आएंगे वे कम ही खरीदारी करेंगे, जबकि यह बाजार रूस के खरीदारों पर ही निर्भर है।