कच्चा तेल 121 डॉलर पर पहुंचा एल्युमीनियम में भी शानदार तेजी | एजेंसियां / दुबई/लंदन/नई दिल्ली March 02, 2022 | | | | |
बुधवार को तेल कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। ओपेक+ देशों द्वारा अप्रैल में उत्पादन वृद्घि में नरमी लाने की अपनी योजनाओं पर कायम रहने के लिए सहमति जताए जाने की वजह से तेल कीमतों में तेजी दर्ज की गई है।
कच्चे तेल की कीमतें दिन के कारोबार में 121.89 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर पहुंच गईं, जो 13 अप्रैल, 2012 के बाद से सर्वाधिक ऊंचा स्तर है। 13 अप्रैल 2012 को ये कीमतें 121.96 डॉलर पर थीं।
भारतीय समय अनुसार, शाम 8.21 बजे यह 111.5 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो 6.22 प्रतिशत तक की तेजी है।
डब्ल्यूटीआई कच्चा तेल 109.60 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो 5.99 प्रतिशत तक की तेजी थी और यह आखिर में 111 डॉलर के आसपास बंद हुआ। भारत में एमसीएक्स क्रूड वायदा 21 मार्च डिलिवरी के लिए 8,274 डॉलर प्रति बैरल के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
रिस्क कंसल्टेंसी वेरिस्क मैपलक्रॉफ्ट में मुख्य एशियाई विश्लेषक काहो यू ने कहा, 'सीमित विविधीकृत विकल्पों की वजह से रूस के ऊर्जा निर्यात के लिए किसी तरह के व्यवधान से यूरोप में अन्य ऊर्जा संकट को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि अमेरिका ने वैश्विक तेल भंडार जारी किए जाने का आह्वान किया है, लेकिन तेल कीमतें तब तक 100 डॉलर से ऊपर बनी रह सकती हैं, जब तक बड़ी वैकल्पिक आपूर्ति बाजार में दर्ज नहीं की जाती।'
रूसी तेल में कारोबार अव्यवस्थित था, क्योंकि उत्पादकों ने बिक्री टाल दी, आयातकों ने रूसी जहाजों को लौटा दिया और दुनियाभर के खरीदारों ने कच्चे तेल के लिए अन्य स्थानों की तलाश की, क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों और निजी कंपनियों पर रूस-यूक्रेन मामले से दबाव का सामना करना पड़ा है। रूसी तेल निर्यात का वैश्विक आपूर्ति में करीब 8 प्रतिशत का योगदान है। एक्सन मोबिल ने मंगलवार को कहा कि वह यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह से रूसी तेल एवं गैस परिचालन से बाहर निकलेगी। इस निर्णय से कंपनी रूस के सुदूर पूर्व में सखालिन द्वीप पर बड़े उत्पादन संयंत्रों को बंद करेगी।
इस बीच, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन, रूस और संबद्घ देशों की बुधवार को बैठक हुई है, जिसमें उनके द्वारा फिर से अपना मासिक उत्पादन प्रति दिन 400,000 बैरल तक बढ़ाए जाने की योजना पर चर्चा होने की बात कही जा रही है।
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