विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आई | असित रंजन मिश्र / नई दिल्ली March 02, 2022 | | | | |
राज्य सरकारों द्वारा कोविड संबंधी प्रतिबंध खत्म किए जाने, तीसरी लहर कमजोर पडऩे और मांग की स्थिति बेहतर रहने से फरवरी में भारत के विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आई है। बाजार धारणा पिछले अक्टूबर के बाद सबसे बेहतर रही है। बहरहाल जिंसों के दाम में तेजी और रूस-यूक्रेन युद्ध और विदेशी शिपमेंट में व्यवधान की वजह से घरेलू विनिर्माण गतिविधियों के नीचे जाने को लेकर दबाव पड़ सकता है।
आईएचएस मार्किट की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) फरवरी में सुधरकर 54.9 पर आ गया है। जनवरी में गिरकर 4 महीने के निचले स्तर 54 पर था, जिसपर कोविड-19 की तीसरी ओमीक्रोन लहर का असर था और यह देश भर में तेजी से फैल रहा था। पीएमआई 50 अंक से ऊपर हो तो विस्तार और इससे नीचे कारोबार के संकुचन का संकेत देता है।
आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली फर्म ने कहा, 'नए कारोबार में तेजी आई। पुराने व नए दोनों ग्राहकों की ओर से मांग की स्थिति और बिक्री बेहतर रही। इसी तरह से अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की मांग में भी सुधार हुआ है और यह पिछले 3 महीने में सबसे तेजी से बढ़ी है।'
इंटरमीडिएट और पूंजीगत वस्तुओं की फर्मों के विस्तार की दर तेज हुई है और उपभोक्ता वस्तु विनिर्माताओं की राह आसान हुई है। कमोबेश उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र लगातार तीसरे महीने फरवरी में बेहतरीन प्रदर्शन वाला क्षेत्र रहा है।
आईएचएस मार्किट ने कहा कि फरवरी का सर्वे दिखाता है कि भारत के विर्मिाताओं की औसत इनपुट लागत और बढ़ी है। इसमें कहा गया है, 'खरीद मूल्य महंगाई दर तेज थी। इस अतिरिक्त लागत का बोझ ज्यादा बिक्री शुल्क पर डाल दिया गया, जिससे बढ़ोतरी की दर बहुत मामूली रही।'
विधानसभा चुनावों के बाद मार्च की शुरुआत में तेल के खुदरा दाम में बढ़ोतरी की उम्मीद है, क्योंकि रूस से आपूर्ति व्यवधानों के डर के कारण ब्रेंट क्रूड 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। कीमतों में बढ़ोतरी धीरे धीरे हो सकती है और यह इस बात पर भी निर्भर होगा कि क्या सरकार उत्पाद शुल्क में एक बार फिर कटौती करेगी।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रीया पटेल ने कहा कि हाल के भारत के विनिर्माण पीएमआई के आंकड़े फरवरी में परिचालन की स्थिति बेहतर होने के संकेत दे रहे हैं। उन्होंने कहा, 'बहरहाल कुछ चिंताएं बनी हुई हैं, जो वृद्धि के लिए खतरा हैं। इसमें लागत का दबाव बढ़ा रहना शामिल है। खर्च तेजी से बढऩे के बावजूद फर्में ग्राहकों पर बोझ का एक हिस्सा ही डाल रही हैं, जिससे उनके मुनाफे पर दबाव पड़ रहा है।'
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