भारतीय बैंकों ने रूस की कंपनियों को उनके निर्यात के लिए धन भेजना बंद कर दिया है, जिससे भारत और रूस के बीच वित्तीय लेनदेन थम गए हैं। हालांकि रूस की कंपनियां बैंकों पर दबाव बना रही हैं। रूस की कंपनियों का ज्यादातर बकाया रक्षा उपकरणों से संबंधित है। यूरोपीय संघ, अमेरिका और उनके अन्य सहयोगी पश्चिमी देशों के रूस को स्विफ्ट व्यवस्था से बाहर करने के बाद भारतीय बैंकों को रूसी निर्यातकों को धनराशि भेजना बंद करना पड़ा है। स्विफ्ट का पूरा नाम सोसाइटी फोर वल्र्डवाइड इंटरबैंक फाइनैंशियल टेलीकम्यूनिकेशन है। यह एक तत्काल मैसेजिंग प्रणाली है, जो भुगतान भेजे या प्राप्त किए जाने पर उपयोगकर्ताओं को सूचित करती है। इसकी स्थापना 1973 में हुई थी और यह बेल्जियम में स्थित है। स्विफ्ट 200 देशों में 11,000 से अधिक बैंकों और संस्थानों को जोड़ती है। रूस के पांच बैंकों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सरकार समर्थित स्बरबैंक और वीटीबी भी शामिल हैं। इन दो बैंकों की रूस की बैंकिंग परिसंपत्तियों में करीब आधी हिस्सेदारी है। स्बरबैंक और वीटीबी की भारत में शाखाएं हैं। एक बड़े बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'रूस की कंपनियां भुगतान के लिए दबाव बना रही हैं। लेकिन अमेरिका ने स्विफ्ट तक रूस के बहुत से बैंंकों की पहुंच रोकने का फैसला किया है, इसलिए अगर हम यहां से अमेरिकी डॉलर में भुगतान करेंगे तो यह नहीं पहुंच पाएगा क्योंकि अमेरिका रूस को कोई भी भुगतान रोक देगा।' अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर बकाया भुगतान भारत में रक्षा आयात से संबंधित हैं। बैंक अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक द्वारा सोमवार को रूस की एक कंपनी को किया गया भुगतान अमेरिका ने वापस लौटा दिया। बैंक अधिकारियों के मुताबिक आम तौर पर मार्च में खाते बंद होने से पहले भुगतान बढ़ते हैं। अधिकारी ने कहा, 'यह वर्ष भी अलग नहीं है। मार्च आ गया है, इसलिए ये कंपनियां भुगतान के लिए कह रही हैं। ज्यादातर बकाये भुगतान रक्षा से संबंधित आयात के हैं। यह राशि काफी बढ़ी होगी।' बैंक अधिकारियों ने कहा कि वे इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों का इंतजार कर रही हैं कि रूस के बैंकों और कंपनियों से कैसे निपटा जाए। हालांकि नियामक ने बैंकों से कहा है कि वे रूस और यूक्रेन से संबंधित अपने लेनदेन के बारे में ब्योरे मुहैया कराएं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में रूस पर प्रतिबंधों के बाद उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है। बैंक अधिकारियों ने कहा कि इस गतिरोध के समाधान का एक तरीका रुपये-रुबल में द्विपक्षीय व्यापार खोलना है। उन्होंने कहा कि रुपया-रुबल व्यापार को फिर से शुरू करने की जरूरत है। रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार चालू वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर रहा है, जो 2020-21 में 8.1 अरब डॉलर रहा था। रूस से भारत को मुख्य रूप से तेल, उर्वरक और बिन तराशे हीरों का निर्यात होता है, जबकि भारत रूस को दवा उत्पादों, चाय और कॉफी का निर्यात करता है। बीते वर्षों में ऐसे कई उदाहरण है, जब भारत अपने व्यापार साझेदारों पर पश्चिमी प्रतिबंधों से कैसे निपटा था। वर्ष 2012 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वजह से उस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत सरकार ने यूको बैंक को ईरानी तेल के लिए भुगतान बैंक बनाया था।
