यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देश रूस को वित्तीय चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अभी तक इस तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया है जो रूसी शेयरों में निवेश पर पाबंदी लगाता हो लेकिन वैश्विक सूचकांक प्रदाताओं एफटीएसई और एमएससीआई ने अपने-अपने सूचकांकों से रूस के शेयरों को बाहर निकालने पर विचार शुरू कर दिया है। ऐसे कदम से रूस से अरबों डॉलर की निकासी हो सकती है। इस निकासी का एक हिस्सा भारत समेत अन्य उभरते बाजारों का रुख कर सकता है। अगर रूस को इन सूचकांकों से बाहर निकाला जाता है तो एमएससीआई ईएम व अन्य अहम सूचकांकों में भारत का भारांक बढ़ेगा। सोमवार देर शाम एमएससीआई ने फंड मैनेजरों से अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों के लिए रूसी इक्विटी बाजार तक पहुंच और निवेश क्षमता की मौजूदा स्थिति पर फीडबैक मांगा। सूचकांक प्रदाता ने कहा कि वह रूस के इक्विटी बाजार तक पहुंच और निवेश की क्षमता की नजदीकी निगरानी कर रहा है। रूस पर वित्तीय पाबंदी लगाई गई है मसलन उसके बैंकों को स्विफ्ट सिस्टम से अलग कर दिया है। रूस के शेयरों में निवेश में जो बाधा है उनमें रूबल को विदेशी मुद्राओं में परिवर्तनीयता में गिरावट, मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज बंद होना और प्रतिभूतियों की बिक्री पर पाबंदी शामिल है। सार्वजनिक टिप्पणी आमंत्रित करने वाले एमएससीआई के नोट में कहा गया है, इन घटनाक्रम को देखते हुए एमएससीआई रूस के इक्विटी बाजार के साथ एमएससीआई इंडेक्स के जुड़ाव की बाबत सही उपचार पर टिप्पणी मांग रहा है और इसमें एमएससीआई उभरते बाजारों से रूसी सूचकांकों के संभावित पुनर्वर्गीकरण का मामला भी शामिल है। सूचकांकों के अवयव पर नजर रखने वाले विश्लेषकों ने कहा कि वे स्थिति पर नजदीकी नजर रखे हुए हैं ताकि रूस के इससे अलग होने के असर का आकलन किया जा सके। स्मार्टकर्मा में लेख लिखने वाले विश्लेषक ब्रायन फ्रिएट्स ने पिछले हफ्ते नोट में कहा है, अगर रूस को एमएससीआई स्टैंडर्ड व स्मॉलकैप सूचकांकोंं से अलग किया जाता है तो पैसिव ट्रैकर्स को करीब 15.74 अरब डॉलर के शेयर बेचने होंगे। यह निकासी 23 फरवरी के आधार पर है और मौजूदा पप्रवाह करीब 30 फीसदी कम होगा। 25 फरवरी को एमएससीआई ईएम में रूस का भारांक 2.66 फीसदी था, जो आठवां सबसे बड़ा आंकड़ा है। चीन व ताइवान इस सूची में सबसे ऊपर है और उनका भारांक क्रमश: 29.55 फीसदी व 15.86 फीसदी है। भारत का भारांक 12.55 फीसदी है, जो तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। एफटीएसई ने भी एक नोट जारी कर रूस को लेकर चिंता को रेखांकित किया है। पिछले हफ्ते आईआईएफएल इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के उपाध्यक्ष श्रीराम वेलायुधन ने एक नोट में कहा था, एक घटनाक्रम के तहत अगर रूस की निकासी का कदम उठाया जाता है तो एमएससीआई इंडिया को फायदा होगा क्योंकि इस इलाके में संभावित तौर पर 1.7 अरब डॉलर का निवेश आ सकता है। अगर एफटीएसई ग्लोबल इकिक्वटी सूचकांक भी ऐसा ही कदम उठाता है तो इससे 0.7 अरब डॉलर का और निवेश आ सकता है।
