यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारत के बैंकिंग क्षेत्र को होने वाले नुकसान का जायजा लेने की कवायद कर रहा है। इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने सोमवार को देश के शीर्ष बैंकों की बैठक बुलाई है। आईबीए ने बैंकों से कहा है कि वे रूस और यूक्रेन में अपने कारोबार की विस्तृत सूचना दें। बैंकों से कहा गया है कि बुधवार तक वे बैंकिंग नियामक के पास विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करें। बैंकरों के मुताबिक रिजर्व बैंक दोनों देशों के साथ भारतीय बैंकों के कारोबार की मात्रा पर विचार करने के बाद आगे के कदमों की घोषणा कर सकता है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने रूस और यूक्रेन के साथ कारोबार और बैंकों को होने वाली संभावित समस्याओं के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्होंने कहा, 'पहली नजर में ऐसा लगता है कि बैंकों का संभवत: इन देशों के साथ बड़ा कारोबार नहीं है। कुछ बैंकों का कारोबार गारंटी के रूप में हो सकता है।' देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक का केनरा बैंक के साथ रूस में कमॢशयल इंडो बैंक के नाम से संयुक्त उपक्रम है। इस बैंक में एसबीआई की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 40 प्रतिशत हिस्सेदारी केनरा बैंक की है। बैंकरों के मुताबिक रूस को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को किया गया भुगतान प्रभावित होगा क्योंकि रूसी बैंकों के साथ स्विफ्ट सिस्टम काट दिया गया है। शनिवार को यूएस और ईयू ने कुछ रूसी बैंकों की स्विफ्ट भुगतान व्यवस्था तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया था। इससे रूस को भुगतान करना और उससे भुगतान लेना और कठिन हो जाएगा। इस कदम से रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के युद्ध की वित्तपोषण क्षमता पर असर पड़ेगा। पश्चिमी देशों ने रूसी केंद्रीय बैंक पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे रूस अपने रिजर्व का इस्तेमाल युद्ध के लिए नहीं कर पाएगा। रूस के 5 बैंक प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं, जिसमें सरकार समर्थित स्बेरबैंक और वीटीबी शामिल हैं, जिनका रूस की आधी बैंकिंग संपत्तियों पर कब्जा है। रूस के खिलाफ प्रतिबंध और स्विफ्ट से उसे काट देने से भारत का रूस के साथ व्यापार प्रभावित हो सकता है, जो इस वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में रूस के साथ कारोबार 8.1 अरब डॉलर था। रूस मुख्य रूप से भारत को तेल, उर्वरक और कच्चे हीरे का निर्यात करता है, जबकि भारत दवाएं, चाय और कॉफी रूस को भेजता है। बैंकरों ने कहा कि वे रिजर्व बैंक की ओर से कुछ परामर्श जारी किए जाने की भी उम्मीद कर रहे हैं कि रूस के बैंकों के साथ इस समय किस तरह से कारोबार करना है। एक और बैंकर ने कहा, 'अब तक इस मसले पर कोई बातचीत नहीं हुई है। संभवत: ऐसा इसलिए हो कि यह अभी बहुत जल्दबादी होगी। रिजर्व बैंक किसी कदम की घोषणा करने के पहले रूस के बैंकों के साथ भारतीय बैंकों के लेन-देन की मात्रा का आकलन करना चाहता है।'
