अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री ने जमीन के लेखे-जोखे के लिए डिजिटलीकरण और मानचित्रण की नई योजना की घोषणा की थी। हालांकि सरकार पहले से ही फसल बीमा के लिए ड्रोन तैनात कर रही थी, लेकिन गांवों की आबादी का सर्वेक्षण और ग्राम क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण (स्वामित्व) से देश भर के 6,60,000 गांवों में भूमि के आंकड़ों का लेखा-जोखा, नक्शे बनाने और भूखंडों का डिजिटलीकरण करने की उम्मीद की गई थी। सरकार का लक्ष्य इस प्रक्रिया को वर्ष 2025 तक पूरा करना है। हालांकि बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि यह प्रगति धीमी रही है। पिछले साल एक नई भू-स्थानिक नीति को मंजूरी दी गई थी, इसलिए यह कार्यक्रम रफ्तार पकड़ सकता है। लेकिन फिलहाल स्वामित्व डैशबोर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि ड्रोन का उपयोग करते हुए 15 फरवरी तक देश के छह गांवों में से एक गांव का मानचित्रण किया जा चुका था। अन्य गणनाओं के संबंध में प्रगति और भी धीमी थी। नौ में से एक गांव पूरा नक्शा तैयार करा चुका था, जिसे राज्य को सौंप दिया गया और 25 में से केवल एक के पास ही संपत्ति कार्ड तैयार था। इस बीच सरकारी वेबसाइट दोहरे आंकड़े पेश कर रही है। जहां एक ओर वेबसाइट से पता चलता है कि 15 फरवरी तक कुल मिलाकर 26,472 कार्ड तैयार किए गए थे, वहीं दूसरी ओर इससे यह भी पता चलता है कि इससे अधिक संख्या (27,133) में ये कार्ड वितरित किए गए थे। हमारे विश्लेषण में तैयार संपत्ति कार्ड के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। आगे की गणना से पता चलता है कि अधिकांश प्रगति में केवल कुछेक राज्यों की ही हिस्सेदारी है। सरकार के इस कार्यक्रम के पीछे सभी गांवों का मानचित्रण करने की योजना है, कुछ राज्यों को अभी शामिल होना है। तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और बिहार उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने अब तक ड्रोन मानचित्रण की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। सरकार के डैशबोर्ड के अनुसार गुजरात, केरल और गोवा उन राज्यों में से हैं, जिन्होंने केवल कुछेक गांवों का ही मानचित्रण किया है और विशेषता निष्कर्षण के साथ इसका पालन नहीं किया है और उन मानचित्रों को राज्यों को नहीं सौंपा है। जिन 1,08,444 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण किया गया है, उनमें से करीब 80 प्रतिशत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हैं। बाद की अन्य गतिविधियों में महाराष्ट्र का प्रदर्शन पिछड़ गया है। मानचित्रण कार्य पूरा कर चुके केवल 10 प्रतिशत गांवों में ही संपत्ति कार्ड तैयार किए गए थे। इसके विपरीत हरियाणा ने 43.8 प्रतिशत गांवों के लिए संपत्ति कार्ड तैयार कर चुका था, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने क्रमश: 29.8 और 22 प्रतिशत स्तर पूरा कर लिया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में 86 प्रतिशत गांव ऐसे हैं, जहां संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। इसके अलावा योजना में शामिल 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल चार ने ही अपने 50 प्रतिशत से अधिक गांवों के लिए ड्रोन सर्वेक्षण पूरा किया था और केवल छह ने अपने कम से कम 40 प्रतिशत गांवों के लिए ड्रोन सर्वेक्षण पूरा किया था। डैशबोर्ड पर सूचीबद्ध अपने 10 प्रतिशत से अधिक गांवों के लिए केवल तीन ने ही संपत्ति कार्ड तैयार किए थे, जबकि हरियाणा ने अपने 37 प्रतिशत गांवों के लिए यह कर चुका था। अगर सरकार को वर्ष 2025 तक भारत के सभी गांवों को दायरे में लेने का अपना लक्ष्य हासिल करना है, तो उसे 1,38,000 गांवों का ड्रोन सर्वेक्षण करने और हर साल 1,58,382 संपत्ति कार्ड तैयार करने की जरूरत पड़ेगी।
