वित्त वर्ष 22 में अप्रैल-जनवरी के दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा 9.38 लाख करोड़ रुपये या पूरे साल के संशोधित अनुमान का 58.9 प्रतिशत रहा है। वहीं पिछले साल की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 66.8 प्रतिशत था। ज्यादा कर प्राप्तियों के कारण राजकोषीय घाटा कम हुआ है। आज जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह पता चलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने केंद्रीय बजट 2023 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य संशोधित कर नॉमिनल जीडीपी का 6.9 प्रतिशत कर दिया था, जो बजट अनुमान में 6.8 प्रतिशत रखा गया था। बहरहाल सरकार अगल एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश से अनुमान से ज्यादा धन प्राप्त करकती है तो बजट अनुमान का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वित्त वर्ष 23 के लिए राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 16.6 लाख करोड़ रुपये है, जो जीडीपी का 6.4 प्रतिशत होता है। वित्त वर्ष 22 के अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान शुद्ध कर राजस्व 15.47 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान का 87.7 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 82 प्रतिशत था। वहीं गैर कर राजस्व 2.91 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान का 92.9 प्रतिशत रहा है, जो वित्त वर्ष 21 में 67 प्रतिशत था। गैर कर पूंजीगत प्राप्तियां 32.6 प्रतिशत हैं, जो पिछले साल 96.9 प्रतिशत थीं। इससे केंद्र के वित्त वर्ष 22 के निजीकरण अभियान के निराशाजनक प्रदर्शन का पता चलता है। अप्रैल-जनवरी में कुल व्यय 28.09 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान का 74.5 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 73 प्रतिशत था। राजस्व व्यय 23.68 लाख करोड़ रुपये या संशोधित अनुमान का 74.7 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 71.6 प्रतिशत था।
