भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने से सरकार के अन्य प्रमुख कॉर्पोरेट निकायों जैसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) में एफडीआई आकर्षित करने के अवसर खुलेंगे, जो कंपनी के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। एलआईसी का भारी भरकम आईपीओ लाने के पहले मंत्रिमंडल ने शनिवार को एफडीआई नीति में संशोधन कर दिया। एलआईसी का आईपीओ मार्च में आने वाला है। मौजूदा नीति में भारतीय कंपनियों में एफडीआई कीअनुमति है, न कि कॉर्पोरेट निकायों में। कॉर्पोरेट निकाय (बॉडी कॉर्पोरेट) ऐसी इकाई होती है, जिसका अलग कानूनी अस्तित्व है। संसद के अधिनियम से इसकी स्थापना की गई है और इनका पंजीकरण कंपनी अधिनियम के तहत कंपनी के रूप में नहीं होता है। एलआईसी का गठन एलआईसी अधिनियम, 1956 के तहत किया गया था। इसी तरह एनएचएआई और एएआई की स्थापना एनएचएआई ऐक्ट, 1988 और एएआई ऐक्ट, 1994 के तहत की गई थी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'एफ डीआई नीति में सुधार के कुछ लाभ होंगे। इससे एलआईसी व इस प्रकार की अन्य कंपनियों में विदेशी निवेश की सुविधा मिल सकेगी, जिसके लिए सरकार को विनिवेश के मकसद से जरूरत पड़ सकती है। इस सुधार से कारोबार सुगमता आएगी और साथ ही इससे ज्यादा एफडीआई प्रवाह होगा। इससे एफडीआई नीति के कुल मिलाकर मकसद से तालमेल स्थापित होगा। एफडीआई का प्रवाह घरेलू पूंजी, तकनीक हस्तांतरण, कौशल विकास के लिए पूरक होग और सभी क्षेत्रों में विकास हो सकेगा। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और यह आत्मनिर्भर भारत लागू करने में सहायक होगा।' सरकार ने कुछ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) में 51 प्रतिशत की सीमा तय कर रखी है। इसकी वजह से इनमें हिस्सेदारी कम करने की संभावनाएं कम होती हैं, जिनका सरकार विनिवेश करना चाहती है। बहरहाल एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह संशोधन सिर्फ प्रावधान को सक्षम बनाने के लिए है। उन्होंने कहा, 'एनएचएआई या एएआई में एफडीआई लाने की तत्काल कोई योजना नहीं है।' उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि सरकार के तमाम कॉर्पोरेट निकाय हैं और इसे विभागवार देखना होगा। उन्होंने कहा, 'ये ऐसे मामले हैं, जहां इनका पंजीकरण कंपनी अधिनियम के तहत नहीं है। यह सभी वैधानिक निकायों पर लागू होगा, जो केंद्र व राज्य सरकारों के अधीन आते हैं।' बहरहाल उद्योग विभाग के अधिकारी ने साफ किया कि सेक्टर की सीमाएं सामने आएंगी, अगर सरकार किसी अन्य कॉर्पोरेट निकाय में एफडीआई की अनुमति देती है। उन्होंने कहा, 'यह संशोधन कॉर्पोरेट निकाय को एफडीआई के लिए स्वत: पात्र नहीं बनाता। सरकार को अनुमति देनी पड़ेगी। यह फैसला अलग अलग मामलों के आधार पर करना पड़ेगा। बहरहाल अब भविष्य मेंं विनिवेश प्रक्रिया में एफडीआई की सुविधा देने के लिए एक ढांचा बन गया है।' पूर्व उद्योग सचिव अजय दुआ इसे बड़ा कदम मानते हैं। उन्होंने कहा, 'संशोधन के बाद एनएचएआई और पोर्ट ट्रस्ट जैसी इकाइयां एफडीआई के पात्र होंगी। इस तरह से आप इस तरह की बुनियादी ढांचा इकाइयों को एफडीआई के लिए खोल रहे हैं।' पीडब्ल्यूसी इंडिया में आर्थिक सलाहकार सेवा के लीडर और पार्टनर रानेन बनर्जी ने कहा कि उन इकाइयों में एफडीआई आएगा, जिनमें बहुत ज्यादा वाणिज्यिक दिलचस्पी है और स्टॉक मार्केट में सूचीबद्धता की संभावनाएं हैं।
