मोबाइल, पसर्नल कंप्यूटर (पीसी), लैपटॉप, टैबलेट जैसे हार्डवेयर उपकरण विनिर्माताओं ने एक स्वर में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की उस सिफारिश का विरोध किया है, जिसमें कहा गया है कि डेटा संरक्षण विधेयक के तहत स्थापित किए जाने वाले डेटा संरक्षण प्राधिकरण (डीपीए) को हार्डवेयर उपकरणों की निगरानी, जांच और प्रमाणन का नियमन करना चाहिए। हालांकि इस कदम का कुछ दूरसंचार कंपनियों ने समर्थन किया है। उन्होंने विभिन्न भागीदारों की एक बैठक में कहा है कि सरकार दूरसंचार उपकरण की जांच को पहले ही आवश्यक बना चुकी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी नेटवर्क में लगा उपकरण 'भरोसेमंद स्रोतों' से आया है। दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि इन मंजूरियों के दायरे में दूरसंचार उपकरण की सुरक्षा एवं निजता के मुद्दे आते हैं, लेकिन उनमें हार्डवेयर उपकरण शामिल नहीं हैं। दूरसंचार उपकरण सुरक्षित होने की जांच टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) करता है, जो दूरसंचार विभाग का हिस्सा है। एक दूरसंचार कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'अगर दूरसंचार उपकरण जांच एवं प्रमाणन के विभिन्न चरणों से गुजरता है तो मोबाइल फोन जैसे अन्य हार्डवेयर उपकरणों की जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए, जिनमें डेटा का उल्लंघन ज्यादा आसान है।' इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए इंडिया सेल्यूलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने कहा है कि इसका ऊंची वृद्धि वाले मोबाइल उपकरण क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ेगा और यह वैश्विक मानदंडों के खिलाफ है। आईसीईए प्रमुख दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं का प्रतिनिधित्व करता है। अतिरिक्त प्रमाणन (इस समय उनमें से सभी बीआईएस प्रमाणन लेते हैं) शुरू हो गया तो इलेक्ट्ऱॉनिक उपकरण बाजार में देर से आ सकेंगे। प्रयोगशाला में जांच में भी एक साल लग सकता है, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को नए उत्पाद देर से मिलेंगे। आईसीईए का यह भी कहना है कि यह कदम कारोबारी सुगमता की बाधाओं को दूर करने की सरकार की कोशिशों के भी खिलाफ है। इसके अलावा जांच एवं प्रमाणन से उपभोक्ता उपकरणों में लक्षित मकसद पूरे नहीं होने के आसार हैं। स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपभोक्ता उपकरणों के लिए सबसे अहम जोखिम खरीदारी के बाद उपयोगकर्ता द्वारा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने या अनधिकृत रिपेयर सेंटर के अनधिकृत पुर्जे लगाने से पैदा होता है, इसलिए बिक्री से पहले प्रयोगशाला प्रमाणन कतई प्रभावी नहीं होगा। उपभोक्ता के कहने पर बिक्री के बाद प्रमाणन में ऐसे बदलावों पर विचार करना होगा, जो उस उपकरण में किए गए हैं। आईसीईए ने तर्क दिया है कि उपकरण के असेंबली लाइन से बाहर निकलने के बाद विनिर्माताओं को संभावित उपभोक्ता दुरुपयोग या विनिर्माता द्वारा नियंत्रित नहीं की वाली फाइल और ऐप द्वारा किए जाने वाले बदलावों के लिए विनिर्माताओं को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजे पत्र में भारत के सूचना एवं संचार तकनीक क्षेत्र की शीर्ष प्रतिनिधि संस्था एमएआईटी ने शिकायत की है कि जेपीसी ने भागीदारों के साथ चर्चा में कभी इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की। इसने कहा है कि हार्डवेयर विनिर्माताओं के नियमन की सिफारिश 'इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के उस मौजूदा जांच एवं परीक्षण ढांचे के लिए पूर्णतया उपेक्षा दर्शाती है, जिसका उद्योग एक दशक से अधिक समय से पालन कर रहा है।'
