कोयले का पर्याप्त स्टॉक न बरकरार रखने वाली ताप बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों (जेनको) को जुर्माना देना पड़ सकता है। इसमें नियत शुल्क में कमी किया जाना शामिल है, जो वे बिजली वितरण कंपनियोंं (डिस्कॉम) से लेती हैं। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कोयला भंडारण का नया मानक अधिसूचित किया है, जिसमें जेनको को कोयले का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखना अनिवार्य होगा, जिससे कि कोयले की कम आपूर्ति वाले महीनों में पर्याप्त स्टॉक बना रह सके। जुर्माने की गणना कमी के आधार पर की जाएगी, जिसमें कोयले की सामान्य उपलब्धता में कमी की मात्रा के अनुपात में नियत शुल्क कम किया जाएगा। मंत्रालय ने अपने नोटिस में मासिक स्टॉक की तालिका तैयार की है, जिसे पिटहेट (कोयला के खदान के नजदीक) और नॉन-पिटहेड (खदानों से दूर) के मुताबिक भंडारण की मात्रा दी गई है। पिटहेड के लिए स्टॉक की सीमा 12-17 दिन और नॉन-पिटहेड के लिए 20-26 दिन रखा गया है। बिजली संयंत्रों को चौथी तिमाही के दौरान पर्याप्त स्टॉक रखने के निर्देश दिए गए हैं, जिसे मॉनसून के महीनों के दौरान कोयले की जरूरतें पूरी की जा सकें, जब कोयले की आपूर्ति गिर जाती है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि जेनको की मासिक आधार पर ग्रेडिंग उनके प्रदर्शन और कोयला कंपनियों को भुगतान की स्थिति के मुताबिक होगा।महंगी पड़ेगी सहमति के बगैर बिजली की बिक्री केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने गजट अधिसूचना में कहा कि बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) को जुर्माना देना होगा, अगर वे खरीदार (बिजली वितरण कंपनियों) की सहमति के बगैर कॉन्ट्रैक्ट वाली बिजली की बिक्री खुले बाजार में करती हैं। अधिसूचना में कहा गया है, 'अगर विक्रेता समझौते के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट वाली बिजली खरीदार को देने में असफल रहता है और यह बिजली बगैर खरीदार की सहमति के किसी अन्य पक्ष को बेचता है तो खरीदार अपने नुकसान की क्षतिपूर्ति का दावा विक्रेता से कर सकता है।' बीएस संवाददाता
