तेल में उबाल भारतीय उद्योग जगत के लिए चिंताजनक | शर्लीन डिसूजा, शैली सेठ मोहिले, ईशिता आयान दत्त / नई दिल्ली February 24, 2022 | | | | |
भारतीय कंपनियां एक अन्य संकट से मुकाबले की तैयारी कर रही हैं, क्योंकि रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य हमला शुरू किए जाने की खबरों से तेल कीमतें 5 प्रतिशत से चढ़ गई हैं।
ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स करीबी 105 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा, जो 2014 के बाद से पहली बार 100 डॉलर के स्तर के पार पहुंचा है। भारतीय मुख्य कार्याधिकारियों ने अपनी बिक्री और कच्चे माल की लागत पर बढ़ती तेल कीमतों के प्रभाव को लेकर चिंता जताई है। बर्जर पेंट्स इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अभिजीत रॉय का कहना है, 'यदि तेल कीमतें इन स्तरों पर बनी रहीं, तो हर कोई प्रभावित होगा। इसका प्रभाव तुरंत नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि हमारे पास अगले दो-तीन महीनों के लिए कच्चे माल और तैयार माल उपलब्ध है। लेकिन यदि यह इन ऊंचे स्तरों पर बना रहा, तो कच्चे माल की कीमतों, खासकर सॉल्वेंट पर कुछ प्रभाव जरूर दिखेगा। लेकिन माना जा रहा है कि हम इसका बोझ ग्राहकों पर डालने में सक्षम होंगे।'
बढ़ती तेल कीमतों और आपूर्ति में व्यवधान के अलावा, मुख्य कार्याधिकारी अब इसे लेकर भी चिंतित हैं कि तेल कीमतों का प्रभाव उनकी बिक्री, खासकर वाहन बिक्री पर कितना पड़ेगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल कीमतों पर भी ऊंची कच्चे तेल कीमतों का असर दिखेगा।
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा, 'बढ़ती तेल कीमतों से वाहनों की परिचालन लागत बढ़ गई है। इसके अलावा अधिग्रहण लागत भी महत्वपूर्ण कारक है जिससे उपभोक्ता द्वारा खरीदारी का निर्णय प्रभावित होता है। इसलिए ऊंची तेल कीमतें वाहन खरीदारी रुझान के लिए नकारात्मक हैं।'
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, 'ताजा तिमाही में मुद्रास्फीति 13 प्रतिशत से ज्यादा रही। हाइड्रोकार्बन संबंधित उत्पादों, कागज आधारित पैकिंग मैटेरियल, कच्चे शहद, खाद्य तेल और कुछ खास मसालों में महंगाई लगातार बढ़ी है। हमने प्रमुख उत्पादों में करीब 5 प्रतिशत की कीमत वृद्घि की मदद से मुद्रास्फीति की कुछ हद तक भरपाई की है। फिलहाल हम हालात पर सतर्कता के साथ नजर रख रहे हैं और मुद्रास्फीति संबंधित दबाव को देखते हुए कीमत वृद्घि को लेकर कदम उठाएंगे।'
अन्य उपभोक्ता उत्पाद कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि माल ढुलाई लागत 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है, क्योंकि यूक्रेन में सभी बंदरगाह बंद कर दिए गए हैं। (साथ में शाइन जैकब)
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