भारत के लोग अब ज्यादा सावधि बीमा पॉलिसियां ले रहे हैं। इंडियन प्रोटेक्शन कोशेंट (आईपीक्यू) सर्वे 4 के मुताबिक सावधि बीमा लेने वालों की संख्या बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले साल 39 प्रतिशत थी। जीवन बीमा कराने वाले लोगों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 78 प्रतिशत बनी हुई है, इसके बावजूद ऐसा हुआ है। इससे संकेत मिलता है कि ग्राहक अब अपनी बीमा धारिता का विविधीकरण कर रहे हैं और एक समग्र पोर्टफोलियो बना रहे हैं। सावधि बीमा का मालिकाना पिछले 2 साल की अवधि में 36 प्रतिशत से बढ़कर 43 प्रतिशत हो चुका है। सावधि बीमा लेने वालों की संख्या ऐसे समय में बढ़ रही है, जबकि जीवन बीमाकर्ताओं ने सावधि बीमा प्रीमियम में पिछले 2 साल में उल्लेखनीय वृद्धि की है। यह पुनर्बीमाकर्ताओं के दबाव में किया गया है, जो मृत्यु दर बढऩे की वजह से दबाव में थे। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, 'सावधि बीमा की कीमतों में बढ़ोतरी अभी चल रही है और ज्यादातर बीमा कंपनियां अपनी कीमतें बढ़ा रही हैं। हमने अपनी कीमतें कुछ सप्ताह पहले बढ़ाई है। यह मृत्यु दर पर निर्भर होता है। उम्मीद है कि हम ऐसे दौर में पहुंचने वाले हैं, जब दाम स्थिर हो जाएंगे। साथ ही प्रतिस्पर्धा होने की वजह से कीमत में बढ़ोतरी को लेकर संतुलन स्थापित होगा।' आईपीक्यू3 के सर्वे से यह भी पता चलता है कि सावधि पॉलिसी खरीदने का फैसला करने में प्रीमियम अभी भी मुख्य मानक बना हुआ है, लेकिन हाल के समय में बीमित राशि को मानक मानने की धारणा भी बढ़ी है। ग्राहक अपने कवर की अपर्याप्तता पर विचार कर रहे हैं। सर्वे में शामिल करीब 57 प्रतिशत ने संकेत दिए कि उनका सावधि कवरेज अपर्याप्त है। यह संख्या पिछले आईपीक्यू सर्वे में 40 प्रतिशत थी। आईपीक्यू सर्वे में कहा गया है, 'दक्षिण में सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत सावधि बीमा मालिकाना है। मेट्रो और टियर 1 शहरों में यह बढ़कर क्रमश: 48 प्रतिशत और 44 प्रतिशत है। बहरहाल सिर्फ 35 प्रतिशत सावधि बीमा धारकर ही टियर 2 शहरों में हैं, जहां इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने की कवायद करने की जरूरत है।'
