भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि 1 अक्टूबर, 2022 तक 10 या ज्यादा फिक्सड प्वाइंट सर्विस डिलिवरी यूनिट वाली ऊपरी व मझोले स्तर की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अनिवार्य रूप से 30 सितंबर, 2025 से 'प्रमुख वित्तीय सेवा सॉल्यूशंस (सीएफएसएस)' लागू करना होगा। सीएफएसएस कोर बैंकिंग सॉल्यूसंस को जोडऩे की एक व्यवस्था है, जिसका इस्तेमाल बैंकों द्वारा किया जाता है। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि यह ग्राहकों को उत्पादों व सेवाओं से संबंधित डिजिटल पेशकश और ट्रांजैक्शन के मामले में किसी भी वक्त और किसी भी जगह की बाधारहित सुविधा कराएगा। इसके अलावा इससे एनबीएफसी के कामकाज का एकीकरण संभव हो सकेगा और इससे केंद्रीकृत डेटाबेस और अकाउंटिंग का रिकॉर्ड तैयार हो सकेगा। साथ ही इससे आंतरिक मकसद और नियामकीय रिपोर्टिंग दोनों के लिए उचित प्रबंधन सूचना व्यवस्था (एमआईएस) बन सकेगी। इसके पहले रिजर्व बैंक ने कहा था कि 10 या ज्यादा शाखाओं वाले एनबीएफसी के लिए कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस अनिवार्य होगा। तीन साल के उतार चढ़ाव भरी राह के बाद 1 अक्टूबर, 2022 से यह सेवा मुहैया कराई जाएगी।
