तेल से लेकर दूरसंचार क्षेत्र तक काम करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा कि बुधवार को कहा कि आने वाले दो दशकों में भारत का हरित ऊर्जा निर्यात 500 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब आरआईएल ने सौर उपकरण विनिर्माण, हरित हाइड्रोजन उत्पादन और ऊर्जा भंडारण के साथ हरित ऊर्जा क्षेत्र में जोरदार ढंग से विस्तार करना शुरू कर दिया है। एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में अंबानी ने कहा कि भारत का हरित ऊर्जा निर्यात देश के प्रौद्योगिकी और डिजिटल निर्यात के विकास पथ का अनुसरण करेगा। उन्होंने कहा 'भारत का प्रौद्योगिकी और डिजिटल निर्यात बढ़कर 150 अरब डॉलर हो गया है, जो 20 साल पहले 10 अरब डॉलर से भी कम था। मेरा मानना ??है कि वर्ष 2030 तक वह आधा लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाएगा। इसी तरह अगले 20 सालों में, 20 साल के अंत में भारत के स्वच्छ और हरित ऊर्जा निर्यात में भी आधा लाख करोड़ डॉलर के निर्यात की संभावना है।' पिछले साल जून में आरआईएल ने आने वाले तीन सालों में 75,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ हरित ऊर्जा में अपने प्रवेश की घोषणा की थी। इसकी योजना अपनी न्यू एनर्जी ऐंड न्यू मैटिरियल अनुभाग के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन और विनिर्माण, हाइड्रोजन उत्पादन, ई-ईंधन और ऊर्जा भंडारण में निवेश करने की है। आरआईएल की नवगठित शाखा रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (आरएनईएसएल) उन कंपनियों में से एक थी, जिन्होंने पीएलआई योजना के अंतर्गत पेश की गई पहली सौर विनिर्माण निविदा जीती थी। वर्तमान में भारत सोलर सेल और मॉड्यूल का शुद्ध आयातक है, जिसमें करीब 75 प्रतिशत क्षमता चीन से आयातित सामग्री से निर्मित होती है। आरएनईएसएल नॉर्वे की सौर उपकरण विनिर्माता आरईसी सोलर होल्डिंग्स, बैटरी स्टार्टअप फैराडियन के साथ अधिग्रहण की होड़ में है। यह सोलर ईपीसी कंपनी स्टर्लिंग ऐंड विल्सन में भी 40 फीसदी हिस्सेदारी ले चुकी है। आरएनईएसएल ने जर्मन सोलर वेफर फर्म नेक्सवेफ में निवेश करने की घोषणा की है और भारत में हाइड्रोजेन इलेक्ट्रोलाइज की प्रौद्योगिकी विकास और विनिर्माण करने के लिए डेनमार्क स्थित स्टाइसडैल ए/एस के साथ एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अंबानी ने कहा कि अगर पिछले 20 वर्षों में हम भारत के एक आईटी महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए जाने गए थे, तो मेरा मानना है कि अगले 20 वर्षों में प्रौद्योगिकी के साथ-साथ ऊर्जा और जीवन विज्ञान में एक महाशक्ति के रूप में हमारा उदय होगा। यह दावा करते हुए कि नई ऊर्जा की ओर जाने से पृथ्वी के अनुकूल एक नई औद्योगिक कं्रति आएगी, अंबानी ने कहा कि ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मैं कम से कम 20-30 नई भारतीय कंपनियोंं का पूर्वानुमान लगा रहा हूं, जो अगले 10 से 20 सालों में रिलायंस से बड़ी नहीं तो, उसके जितनी ही विकसित होंगी। उन्होंने कहा कि भारत जीवाश्म ईंधन से हरित और स्वच्छ ऊर्जा की ओर इस बदलाव का नेतृत्व करेगा और आने वाले दशकों में सौर तथा हाइड्रोजन ऊर्जा का एक प्रमुख संसाधन भी बनेगा। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह पहली हरित हाइड्रोजन/अमोनिया नीति की घोषणा की थी, जिसके अंतर्गत सरकार हरित ईंधन के विनिर्माण के लिए छूट की पेशकश कर रही है। पिछले साल आरआईएल ने गुजरात के जामनगर में धीरुभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स स्थापित करने की घोषणा की थी।
