किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राज्य सरकार मिलकर एक तैयार करें। नाबार्ड ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र के लिए 6 लाख 13 हजार 503 करोड़ रुपये की कर्ज योजना तय की है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि नाबार्ड राज्य फोकस पेपर एक वर्ष की जगह तीन या पांच साल लिए करें। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नाबार्ड का वर्ष 2022-23 के लिए स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया। नाबार्ड ने राज्य के लिए आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 6 लाख 13 हजार 503 करोड़ रुपये की ऋण योजना निर्धारित की है। यह मौजूदा ऋण योजना से ३ फीसदी अधिक है। इस योजना में कृषि के लिए 1 लाख 43 हजार 019 करोड़ (कुल योजना का 23.3 फीसदी) अलग रखा गया है । लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्यमों के लिए 3 लाख, 48 हजार, 372 करोड़ (कुल योजना का 56.8 फीसदी) का कोष अलग रखा गया है। अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (शिक्षा, आवास, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वयं सहायता समूहों के वित्तपोषण आदि) के लिए 1 लाख 22 हजार 113 करोड़ रुपये (कुल योजना का 19.9 फीसदी) की राशि प्रदान की गई है । मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार और नाबार्ड से भी साथ मिलकर काम करने की अपील की । क्योंकि राज्य के विकास और राज्य हित के उद्देश्य समान हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट ने काम की गति को धीमा कर दिया है, लेकिन अब जब बाधाएं कम हो रही हैं, राज्य को विकास कार्यों के लिए और अधिक धन की आवश्यकता है । नाबार्ड के साथ राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठकें कम से कम हर तीन महीने में होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि फोकस पेपर में निर्धारित उद्देश्यों को पूरा किया जा रहा है या नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बिकेगा वहीं उपज होगी इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत किसानों की आय दोगुनी कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास कर रही है । इसमें कृषि उपज का मूल्यवर्धन करते हुए किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा समन्वय विकसित किया जा रहा है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए नाबार्ड को यह अध्ययन करना चाहिए कि किसानों को प्रत्यक्ष लाभ कैसे दिया जा सकता है और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए । राज्य सरकार के साथ चर्चा कर इसके लिए नीति निश्चित करें । हमारे अन्नदाता किसानों को खुशहाल रखना हम सबका कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड और बैंकों को किसानों को ऋण आसान और आवश्यकतानुसार बनाने के तरीकों पर गौर करना चाहिए, साथ ही बैंकरों और किसानों के बीच समन्वय को ग्रामीण स्तर पर बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि सभी किसानों को समय पर फसल ऋण मिल जाएगा । कृषि मंत्री दादा भुसे ने कहा कि राज्य कृषि विकास की कई योजनाएं चला रहा है। इसमें किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा तालमेल बिठाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय का गठन किया गया है और एक ही छत के नीचे किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। नाबार्ड को अपनी ऋण नीति में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय के अंतर्गत आने वाली योजनाओं को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीआई रेटिंग में महाराष्ट्र देश में पहले नंबर पर है और नाबार्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को सम्मानजनक तरीके से ऋण प्रदान किया जाए।
