मल्टी-ऐसेट फंड प्रबंधन कंपनी नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स फंड ने गुजरात के ढोलेरा में एनालॉग चिप विनिर्माण संयंत्र में 3 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए एक कंसोर्टियम में शामिल हुई है। इस कंसोर्टियम में वैश्विक वैफर फाउंड्री, भारतीय उद्योग घराना और कुछ नवरत्न सार्वजनिक उपक्रम शामिल हैं। मुंबई का यह फंड इस परियोजना पर कुल मिलाकर 15 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसमें दो अन्य उद्यम भी शामिल होंगे जो अलग-अलग कंपनियां होंगी। पहली कंपनी ताइवान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी फाउंड्री के साथ तकनीकी करार के जरिये डिजिटल चिप का उत्पादन करेगी। दूसरी कंपनी मेमोरी चिप का उत्पादन करेगी जिसके लिए फंड ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आईडीएम फैबलेस कंपनी के साथ करार किया है। इसके लिए स्थापित कंपनी आईएसएमजी एनालॉग फैब प्राइवेट लिमिटेड उन तीन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने सरकार की प्रोत्साहन योजना के तहत सेमीकंडक्टर फैब्रिक्रेशन संयंत्र स्थापित करने के लिए आवेदन किया है। देश में सेमीकंडक्टर उत्पादन का परिवेश तैयार करने में प्रोत्साहन के लिए सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अन्य दो कंपनियों में इक्विटी साझेदार के तौर पर फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी के साथ स्टरलाइट और सिंगापुर की कंपनी आईजीएसएस वेंचर्स शामिल हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, शुरू में आईएसएमजी एनालॉग फैब प्राइवेट लिमिटेड ने इजराइल की कंपनी टावर सेमीकंडक्टर के साथ तकनीकी साझेदारी की थी जिसे कुछ सप्ताह बाद इंटेल ने खरीद लिया था। टावर सेमीकंडक्टर के साथ हुए समझौते के अनुसार, फैब संयंत्र को खुद के अनुबंधों को पूरा करने के लिए भारत में 50 फीसदी क्षमता का उपयोग करने का अधिकार होगा। शुरुआत में इस संयंत्र में 65 नैनोमीटर चिप का उत्पादन होगा जबकि बाद में उसे घटाकर 45 नैनोमीटर करने की योजना है। इसकी क्षमता 40 हजार वैफर स्टार्ट प्रति महीना (डब्ल्यूएसपीएम) उत्पादन की होगी। नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स फंड के संस्थापक अजय जालान ने कंपनी की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा, 'कंसोर्टियम में हमारे पास तीन से चार इक्विटी साझेदार होंगे जिनमें तकनीकी साझेदार, भारतीय कॉरपोरेट्स और नवरत्न पीएसयू शामिल हैं। इनमें से हरेक की करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी होगी। हमें सपोर्ट असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग ऐंड पैकेजिंग (एटीएमपी) और पिं्रटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) कंपनियों के साथ भी करार करने होंगे ताकि सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए एक परिवेश तैयार हो सके।' जालान ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को विभिन्न विकल्प एवं भागीदारी की पेशकश की जाएगी जिसमें इक्विटी की पेशकश अथवा तकनीकी के लिए रॉयल्टी का भुगतान शामिल है। हालांकि उन्होंने सौदे की शर्तों का हवाला देते हुए कंसोर्टियम साझेदारों के नामों का खुलासा नहीं किया। जालान ने कहा कि इस प्रकार का संयंत्र किसी अन्य जगह पर स्थापित करने के लिए करीब 5 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि भारत में इसे स्थापित करना अपेक्षाकृत सस्ता होगा। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के लिए चार से पांच वर्र्षों के समय की आवश्यकता होगी क्योंकि इसके लिए परिवेश और बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू से करना होगा। कंपनी विभिन्न चरणों में उत्पादन शुरू करेगी। शुरुआती उत्पादन क्षमता 10 हजार डब्ल्यूएसपीएम होगी जिसे बढ़ाकर 40 हजार डब्ल्यूएसपीएम किया जाएगा जो घरेलू बाजार का करीब 20 फीसदी हिस्सा है।
