इमारत गिरने का है डर तो कराइए ढांचे का मुआयना | संजय कुमार सिंह / February 20, 2022 | | | | |
जब हम घर खरीदते हैं तो नामी बिल्डर और अच्छे इलाके को ध्यान में रखते हुए ही रकम खर्च करते हैं। मगर इस महीने गुरुग्राम के पॉश सेक्टर 109 में चिंटेल्स पैराडाइजो के फ्लैट्स का एक हिस्सा ढहने की खबर ने तमाम लोगों को दहला दिया। उस इमारत की छठी मंजिल पर मौजूद फ्लैट का ड्रॉइंग रूम टूटकर नीचे की मंजिल पर गिरा और फिर एक के बाद मंजिलों के ड्राइंग रूम ढहते गए और दूसरी मंजिल तक सभी फ्लैटों के ड्रॉइंग रूम साफ हो गए। इसके बाद गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा की कुछ परियोजनाओं में रहने वालों ने भी अपने घरों की दीवारों में गहरी दरारें पडऩे की शिकायत की है। इन घटनाओं ने मकान खरीद चुके लोगों को तो परेशान किया ही है, मकान खरीदने जा रहे लोगों की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं। मगर डरकर रहना या मकान खरीदना टाल देना इस परेशानी का हल नहीं है। आप चाहें तो कुछ उपाय कर इस जोखिम को कम कर सकते हैं।
कराएं ढांचे की जांच
आपको कोई मकान पसंद आ गया है और आप उसे खरीदने की सोच रहे हैं मगर आपको यकीन नहीं है कि मकान या इमारत पूरी तरह मजबूत है। तो ऐसे में ऊहापोह में फंसे रहना या गलत फैसला लेना अच्छा नहीं। बेहतर है कि आप इमारत के ढांचे की मजबूती जंचवा लें। आजकल घरों का निरीक्षण करने वाली कई कंपनियां आ गई हैं, जो किसी भी फ्लैट की पूरी तरह जांच करती हैं और देखती हैं कि उसमें किसी तरह की खामी तो नहीं है।
ऐसी ही कंपनी प्रॉपचेकअप के संस्थापक नितिन प्रभाकर शिंगोटे कहते हैं, 'हम दरवाजों, खिड़कियों, बिजली की फिटिंग, प्लंबिंग के काम, दीवारों, छतों आदि की जांच कर बताते हैं कि उनमें कहां-कहां खामियां हैं। सबसे पहले हम संपत्ति को अच्छी तरह देखते हैं। अगर हमें बड़ी दरारें नजर आती हैं या कोई और समस्या दिखती है तो हम ढांचे की जांच करने वाले स्ट्रक्चरल ऑडिटर को लाते हैं, जो मुआयना कर बताते हैं कि इमारत का ढांचा कितना स्थिर है।'
स्ट्रक्चरल ऑडिटर कई तरह की जांच करते हैं। सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स में मैनेजिंग प्रिंसिपल दीक्षू सी कुकरेजा बताते हैं, 'वे मुख्य तौर पर कंक्रीट की गुणवत्ता और उसमें लगाए गए स्टील की गुणवत्ता को परखने के लिए जांच करते हैं।' कंक्रीट की गुणवत्ता जांचने के लिए वे आरएच (रीबाउंड हैमर), कापो (कट ऐंड पुल आउट), अल्ट्रासॉनिक पल्स वेलॉसिटी जैसी जांच करते हैं। स्टील कितना ताकतवर है, यह परखने के लिए वे हाफ-पोटेंशियल और कार्बोनेशन टेस्ट करते हैं। इसमें आने वाला खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि कितने प्रकार की जांच की गई हैं। आम तौर पर खर्च 2 से 5 रुपये प्रति वर्ग फुट या उससे कुछ अधिक होता है।
कुकरेजा कहते हैं, 'एक बार आप इमारत में जाकर बस गए हैं तो यह पक्का कर लीजिए कि आपकी सोसाइटी राष्ट्रीय भवन संहिता के नियमों पर खरी उतर रही है और स्थानीय प्रशासन द्वारा तय किए गए
नियमों का भी पालन कर रही है। ध्यान रखिए कि लिफ्ट और आग से सुरक्षा के इंतजाम का समय-समय पर मुआयना होता रहे और स्ट्रक्चरल ऑडिट भी कराया जाए।'
खरीदें मकान का पर्याप्त बीमा
गुरुग्राम में जो हादसा हाल ही में हुआ, उसकी वजह से कई परिवार बेघर हो गए और कई को जबरदस्त आर्थिक चोट लगी। उन्होंने घर का बीमा कराया होता तो भी उन्हें फायदा शायद नहीं होता क्योंकि यहां इमारत खुद-ब-खुद गिर गई। मगर दूसरी आपदाओं में इस तरह का बीमा बहुत काम का साबित होता।
फ्यूचर जेनेराली इंडिया इंश्योरेंस के मुख्य वितरण अधिकारी राघवेंद्र राव कहते हैं, 'इस पॉलिसी में आग, बिजली गिरने, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन, विस्फोट, दंगे, किसी हादसे से होने वाले नुकसान, आतंकवादी कृत्य आदि के कारण होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है। लेकिन मकान का कमजोरी के कारण गिरना इस पॉलिसी में शामिल नहीं है।'
मिलेगा रीप्लेसमेंट का खर्च
मकान के ढांढांचे और उसमें मौजूद सामान का पर्याप्त बीमा कवर लेने का एक फायदा यह जरूर होता है कि क्षतिग्रस्त ढांचे और सामान को बदलने में होने वाला खर्च बीमा कंपनी से मिल जाता है।
टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस में अध्यक्ष और प्रमुख - कंज्यूमर लाइन्स पराग वेद समझाते हैं, 'ढांचे का बीमा कराया हो तो उतनी रकम मिल जाती है, जितनी ढांचा नए सिरे से बनवाने में खर्च होगी। इमारत के लिए बीमा की रकम तय करते समय उसका कारपेट एरिया लिया जाता है और उसे प्रत्येक इकाई के निर्माण में होने वाले खर्च से गुणा कर लिया जाता है।'
प्रत्येक इकाई या फ्लैट के निर्माण पर होने वाला खर्च निकालते समय सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि स्थान, निर्माण की गुणवत्ता आदि के हिसाब से यह अलग-अलग इमारत के लिए अलग-अलग होगा।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के पास भवन बीमा के लिए माई होम इंश्योरेंस पॉलिसी है। इसमें इमारत के लिए बीमा की रकम तय करते समय उसकी रजामंदी वाली कीमत या 'एग्रीड-अपॉन वैल्यू' को देखा जाता है।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस में मुख्य तकनीकी अधिकारी टीए रामलिंगम कहते हैं, 'आम तौर पर जब इमारत दोबारा बन जाती है या सामान दोबारा आ जाता है तो दावे की रकम दे दी जाती है। हमारी पॉलिसी में ग्राहक के लिए सुविधा है। जब वह हमारे पास दावा लेकर आता है तो हम पॉलिसी जारी करते समय तय की गई एग्रीड-अपॉन वैल्यू दे देते हैं। इसके साथ ही ग्राहक अपना फ्लैट या मकान हमारे सुपुर्द कर देता है। अब उस रकम को लेकर ग्राहक देश में जहां चाहे अपने लिए मकान खरीद सकता है।'
मकान के भीतर रखे सामान का बीमा भी इसी हिसाब से किया जाता है। बीमा खरीदते समय उस सामान की जो भी कीमत चल रही होती है, दावे के समय उसी कीमत के बराबर रकम ग्राहक को दे दी जाती है। राव कहते हैं, 'नियामक द्वारा आरंभ की गई मानक गृह बीमा पॉलिसी में सामान के लिए बीमा कवर तय कर दिया गया है। निर्माण पर होने वाले खर्च के 20 प्रतिशत या 10 लाख रुपये में से जो भी रकम कम होगी, वह सामान के बीमा के तौर पर दावे के समय दे दी जाएगी।'
मगर बीमा कराने वाला अतिरिक्त प्रीमियम चुकाकर सामान के लिए अतिरिक्त बीमा कवर ले सकता है। बजाज आलियांज की माई होम पॉलिसी में यदि सामान की कीमत 5 लाख रुपये से अधिक होती है तो कंपनी ग्राहक को हरेक सामान की कीमत के साथ सूची तैयार करने की कवायद से बरी कर देती है।
अलबत्ता एक बात गांठ बांध लीजिए। कीमती सामान को घरेलू सामान के बीमा में शामिल नहीं किया जाता। वेद बताते हैं, 'जेवरात, दुर्लभ वस्तुएं, कलाकृति आदि को आम घरेलू सामान नहीं माना जाता। उनके लिए अलग से कीमती सामान का बीमा लेना पड़ता है।' अंत में, जब भी घर के लिए पॉलिसी खरीदें तो अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें। बोनैंजा इंश्योरेंस ब्रोकर के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रधान अधिकारी अभिषेक मिश्र कहते हैं, 'बीमा कंपनियों के दावा निपटान अनुपातों की तुलना कर लीजिए। साथ ही पॉलिसियों की भी तुलना करें और देखें कि उनकी कवरेज का दायरा कितना और उनमें कितने फायदे मिल रहे हैं।'
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