बाजारों के लिए टी-20 का दौर हुआ समाप्त | पुनीत वाध / February 20, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
पिछला सप्ताह बाजारों के लिए कठिन दौर रहा, क्योंकि उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि पिछली तिमाही के दौरान उनके नकदी स्तर में इजाफा हुआ है। उनका कहना है कि इससे बाजार में अनिश्चितता के वक्त सस्ते शेयर खरीदने में मदद मिली। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
मार्च 2022 तक बाजार की चाल कैसी रहेगी, जब अमेरिकी फेडरल द्वारा दर वृद्घि की संभावना जताई जा रही है?
हमें बाजारों को उसी संदर्भ में देखना होगा, जैसा कि महामारी फैलने के बाद पिछले 22 महीनों के दौरान देखा। बाजार अपने निचले स्तरों से दोगुना और कोविड-पूर्व ऊंचे स्तरों से करीब 40 प्रतिशत चढ़े हैं। इस तेजी को देखते हुए हम कीमतों में गिरावट देख सकते हैं। बाजार के लिए हम यह कह सकते हैं, 'टी-20 का दौर समाप्त हो गया है और अब हम टेस्ट मैच दौर में प्रवेश कर रहे हैं।' आय में सुधार की स्थिति में हम अगले पांच साल के दौरान दो अंक के प्रतिफल की उम्मीद कर रहे हैं।
क्या फेडरल द्वारा दर वृद्घि के बाद आप कुछ हद तक बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं?
अल्पावधि मूल्यांकन महंगे हैं और मौद्रिक नीति परिवेश बाजारों के लिए नकारात्मक रहेगा। फेडरल द्वारा दर वृद्घि के संदर्भ में बाजारों को कुछ संघर्ष करना पड़ सकता है। हालांकि ऐतिहासिक तौर पर, वे फेड द्वारा दर वृद्घि को लेकर चिंतित हैं, लेकिन तेजी टिकाऊ रहने की संभावना है, क्योंकि अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। इस बार भी समान स्थिति हो सकती है क्योंकि काफी हद तक कीमत गिरावट इस साल की पहली तिमाही में हुई है और बाजार उसके बाद सीमित दायरे में रहेंगे।
मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंटों के लिए आपका क्या नजरिया है?
तीन से चार साल के नजरिये से, हम इन सेगमेंट पर सकारात्मक बने हुए हैं। इसकी वजह यह है कि ये कंपनियां आर्थिक सुधार की स्थिति में तेजी से आय बढ़ाती हैं। हालांकि मूल्यांकन के नजरिये से वे लार्जकैप को लेकर ज्यादा सस्ते नहीं हैं। यदि बाजार गिरते हैं तो इन सेगमेंट में अल्पावधि में बड़ी गिरावट आएगी, लेकिन उस गिरावट में हम खरीदार भी बनेंगे।
क्या 2022 के बाद के हिस्से में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पूंजी प्रवाह वापस आ सकता है?
विदेशियों ने फेडरल समेत प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रित नीति में सख्ती जैसे कदमों की वजह से उभरते बाजारों में बिकवाली की है। हालांकि, वे भारत पर अभी भी सकारात्मक बने हुए हैं। कुछ भारांक घटाने का कारण यहां दो घटनाक्रम की वजह से है। पहला भारत ने ईएम के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है, जिससे भारत से परिवर्तनकारी बदलाव को बढ़ावा मिला है। दूसरा, भारत में मूल्यांकन अपेक्षाकृत अन्य ईएम प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले आकर्षक है। भारत ने हमेशा से ईएम के मुकाबले महंगे मूल्यांकन पर कारोबार किया है।
2022 में अब तक आपकी निवेश रणनीति क्या रही है?
हम घरेलू चक्रीयता आधारित कंपनियों पर ओवरवेट रहे हैं, क्योंकि यह ऐसे नाम हैं जिनमें बड़ी पूंजी अगले कुछ वर्षों में पैदा होगी। हालांकि हमने तकनीकी आधार पर पिछली तिमाही के दौरान नकदी स्तर बढ़ाने पर जोर दिया। इससे हमें बाजार में अस्थिरता वाले दिनों में सस्ते शेयर खरीदने में मदद मिली। हमने सीमेंट और पूंजीगत वस्तु कंपनियों को अपनी पोजीशन में जोड़ा है। इसके अलावा हम वाहन क्षेत्र पर भी ध्यान दे रहे हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर की समस्या दूर होने की संभावना है।
कच्चे तेल की कीमतों में कितनी तेजी आ सकती है और मुद्रास्फीति से वित्त वर्ष 2023 में भारतीय उद्योग जगत की स्थिति किस हद तक प्रभावित होगी?
जिंस कीमतों में वृद्घि का कुछ प्रभाव दिसंबर 2021 की तिमाही में देखा गया था। यह प्रभाव दो कारकों की वजह से वित्त वर्ष 2023 में घट सकता है। पहला, कंपनियां जिंस कीमतों में तेजी का बोझ अब उपभोक्ता पर डालने की कोशिश कर रही हैं और इसका असर अगली कुछ तिमाहियों में दिख सकता है जिससे सकल मार्जिन में सुधार आएगा। दूसरा, लॉजिस्टिक संबंधित समस्याओं में कमी आई है और माल भाड़ा दर भी घटी है।
वित्त वर्ष 2023 की कॉरपोरेट आय वृद्घि के लिए आपका अनुमान क्या है?
वित्त वर्ष 2022 में करीब 30 प्रतिशत की वृद्घि की मदद से हमें वित्त वर्ष 2023 में 16 प्रतिशत की वृद्घि दर की उम्मीद है। हमने इन अनुमानों में बड़ा बदलाव नहीं किया है और बैंकों द्वारा बेहतर आय का अनुमान जताया है, क्योंकि एनपीए पर दबाव घटा है और सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च बढ़ाने से मांग परिदृश्य में सुधार आया है।
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