करीब आठ तिमाहियों के बाद शुद्घ लाभ दर्ज करने वाले सेक्टर में उत्साह अल्पकालीन हो सकता है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और ऊंची प्रतिस्पर्धी की वजह से लागत दबाव का असर प्रतिफल सुधार और वृद्घि में सुधार की उम्मीदों को प्रभावित कर सकता है। हाल के सप्ताहों में देश की सबसे बड़ी एयलाइन इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) के शेयर भाव में उतार-चढ़ा से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। दिसंबर तिमाही में मजबूत प्रदर्शन और यात्रियों आवाजाही में सुधार से इसकी शेयर कीमत को फरवरी के शुरू से 22 प्रतिशत की तेजी को बढ़ावा मिला है। उसके बाद पिछले पांच सत्रों में इसमें उस तेजी के एक-तिहाई की गिरावट भी आई है। अल्पावधि में, कच्चे तेल की कीमतों और विमानन टर्बाइन ईंधन में उतार-चढ़ाव का असर इंडिगो और स्पाइसजेट के मुनाफे पर पड़ सकता है। ब्रेंट क्रूड तेल की कीमतें हाल में तेजी से चढ़कर अपने सात वर्ष के ऊंचे स्तरों पर पहुंची हैं और 93 डॉलर प्रति डॉलर के आसपास मंडरा रही हैं। सेंट्रम रिसर्च के आशिष शाह और वैभव शाह का कहना है, 'भारतीय एयरलाइनों को बिक्री विस्तार और मार्जिन को तेल कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल पर बने रहने की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ा है।' विमानन ईंधन की कीमतें पिछले सप्ताह करीब 5 प्रतिशत तक बढ़ गई थीं और अब ये रिकॉर्ड स्तरों पर हैं। कच्चे तेल की कीमतें अल्पावधि में इन स्तरों पर बने रहने की संभावना है, जिसे देखते हुए एटीएफ कीमतों में तेजी का रुझान देखा जा सकता है। दिसंबर तिमाही में इंडिगो और स्पाइसजेट के लिए बिक्री में ईंधन लागत का योगदान 35-42 प्रतिशत रहा। इन लागत कारकों का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख मानकों यात्री बिक्री और मूल्य निर्धारण को अनुकूल बनाए रखने की जरूरत होगी। ओमीक्रोन वैरिएंट की वजह से जनवरी में औसत दैनिक यात्री आवाजाही महीने दर महीने 43 प्रतिशत गिर कर 2.07 लाख रह गई, जिसके बाद से कुल बिक्री में तेजी आनी शुरू हुई। दैनिक यात्रियों का साप्ताहिक औसत मौजूदा समय में 2.5 लाख के आसपास है जो फरवरी के पहले सप्ताह के आंकड़े के मुकाबले 26 प्रतिशत अधिक है। भविष्य में इसमें तेजी आने की संभावना है, क्योंकि कॉरपोरेट यात्रा खंड में फिर से सुधार आया है। कॉरपोरेट यात्रा खंड दिसंबर में कोविड-पृर्व स्तर के 70 प्रतिशत पर प्रभावित हुआ और जनवरी के पहले पखवाड़े में इसमें भारी गिरावट आई। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को खोलने की योजनाओं, यात्रियों की आवाजाही और उपयोगिता स्तरों में सुधार आने की संभावना है। एयरलाइनों के लिए अन्य सकारात्मक बदलाव दिसंबर तिमाही में प्रतिफल में सुधार रहा। जहां स्पाइसजेट ने इस संदर्भ में सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की, वहीं इंडिगो का प्रतिफल समान अवधि के दौरान 19 प्रतिशत बढ़ा। इंडिगो और स्पाइसजेट के प्रतिफल में अंतर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के आदित्य मोंगिया और टीना विरमानी ने कहा कि इंडिगो का प्रतिफल अब अपने सूचीबद्घ प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी ज्यादा है, जबकि कोविड-19 से पहले इसमें घाटा दर्ज किया गया था। ऊंचे राजस्व, परिचालन लाभ पर कम यूनिट लागत/अन्य खर्च से तिमाही में किराया प्रभावित हुआ। स्पाइसजेट ने 24 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की वहीं, इंडिगो के लिए यह आंकड़ा एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले दोगुना था। जहां इससे आठ तिमाहियों के बाद मुनाफे पर दबाव को बढ़ावा मिला है, वहीं सेंट्रम रिसर्च इसे लेकर अनिश्चित है। ब्रोकरेज के विश्लेषकों का कहना है, 'जहां ट्रैफिक रिकवरी आसन्न दिख रही है, वहीं ऊंचे कच्चे तेल की कीमतों के परिवेश में लाभ के मौजूदा स्तरों की निरंतरता को लेकर हम चिंतित बने हुए हैं।' इसके अलावा, इस सेक्टर में दो नई एयरलाइनें- आकाश और जेट एयरवेज और संभवत: विस्तारा, एयरएशिया तथा एयर इंडिया के समेकन को देखते हुए ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा होने की संभावना है। इससे मूल्य निर्धारण पर दबाव पड़ सकता है, क्योंकि नई कंपनियां बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की कोशिश करेंगी। कई ब्रोकरेज कंपनियां स्पाइसजेट के मुकाबले इंडिगो को पसंद कर रही हैं। इसकी वजह यह हे कि इंडिगो का नकदी बैलेंस करीब 7,800 करोड़ रुपये है, उसका विमान बेड़ा (ईंधन किफायती ए320 नियो शामिल) भी सक्षम है और वह लागत किफायती ढांचे में भी सफल रही है। एडलवाइस रिसर्च के जैल ईरानी के नेतृत्व में विश्लेषकों ने स्पाइसजेट के लिए अपने कीमत लक्ष्य और परिचालन लाभ अनुमानों में कटौती की है। 737 मैक्स की डिलिवरी में विलंब, निवेशकों के लिए पारदर्शिता के अभाव कारगो व्यवसाय के स्थानांतरण, सस्ते बोइंग विमानों के स्थानापन्न और कमजोर बैलेंस शीट आदि को देखते हुए इन अनुमानों में कमी की गई है।
