यूपी में सैनिकों की भर्ती नहीं होने से युवा नाराज | नितिन कुमार / मैनपुरी February 19, 2022 | | | | |
सत्तारूढ़ भाजपा ने उत्तर प्रदेश के मौजूदा चुनाव में जय जवान जय किसान के नारे को दोबारा जीवित कर दिया है लेकिन राज्य की एक बड़ी युवा आबादी इससे सहमत नहीं है। मैनपुरी जिले के रतिभंपुर गांव में व्यायाम कर रहे 26 वर्षीय राजदीप कुमार कहते हैं, '5 साल में सेना की एक बार ही भर्ती हुई है। हम तो सीमा पर खड़े होने के लिए तैयार हैं लेकिन खेत के बीच ही फंसे हुए हैं।'
मैनपुरी यूपी के ऐसे एक दर्जन ग्रामीण जिलों में से हैं जहां से हर साल भारतीय सशस्त्र बलों को हजारों जवान मिलते हैं। लेकिन पिछले दो वर्षों से भारतीय सेना में 100 लोगों की भी भर्ती नहीं हुई है। इसकी वजह है कि जनवरी 2022 में कोविड महामारी के मद्देनजर भर्ती अटकी हुई है और कोविड से पहले शुरू हुई रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है। इनमें शारीरिक और चिकित्सा परीक्षण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।
इसके कारण राज्य में न केवल बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है बल्कि हजारों युवा सरकारी नौकरियों के लिए उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं। 26 वर्षीय नरेश मौर्य सेना भर्ती के अभ्यर्थी हैं। अन्य परीक्षाओं के लिए आयु सीमा को पार करने के बाद वे प्रादेशिक सेना की तैयारी में जुटे हैं। नरेश को लगता है कि सरकार को सेना और अन्य भर्तियों में आयु सीमा को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं सरकारी नौकरी पाने के लिए पिछले पांच वर्ष से प्रयाास कर रहा हूं।
अधिकांश नौकरियों के लिए मैं उम्र सीमा को पार कर चुका हूं। यदि सरकार उम्र सीमा को आगे नहीं बढ़ाती है तो मेरा भविष्य अंधाकरमय हो जाएगा।' जनरल ड्यूटी सैनिकों, ट्रेड्समैन और प्रादेशिक सेना के लिए आयु सीमा क्रमश: 21 वर्ष, 23 वर्ष और 42 वर्ष है। यूपी की सड़कों पर दौड़ रहे जिन युवाओं से बिजनेस स्टैंडर्ड ने बातचीत की उनमें से अधिकांश की उम्र जनरल ड्यूटी और ट्रेड्समैन सैनिकों की भर्ती के लिए समाप्त हो चुकी है।
यूपी में एक ओर जहां लोगों को लगता है कि आयु सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए वहीं 18 वर्ष से कम उम्र वाले युवा को इस बात की चिंता है कि ऐसा होने पर उनके लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाएगी। 18 वर्षीय श्याम सिंह 12वीं के छात्र हैं। वह कहते हैं, 'मैं पिछले छह महीने से तैयारी कर रहा हूं। यहां ऐसे लोग हैं जो पिछले छह वर्ष से लिखित और शारीरिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। मैं उनके साथ प्रतिस्पर्धा कैसे कर पाऊंगा?'
शारीरिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होने वाले ही नहीं बल्कि इसमें उत्तीर्ण हो चुके युवा भी भर्ती प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
इटावा के अकबरपुर गांव के किसान शंकर सिंह दो बच्चों के पिता हैं। वह कहते हैं कि सरकार को केवल नारों पर ही जोर नहीं देना चाहिए बल्कि उसे जमीन पर लागू भी करना चाहिए। आज जवान और किसान दोनों ही अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
2017 में भगवा पार्टी को 403 विधानसभा सीटों में से 312 पर जीत मिली थी। पार्टी ने यह मुकाम राष्टïवाद और युवाओं को नौकरी देने के नाम पर ही हासिल किया था। हालांकि, इस बार यूपी के लोगों का भगवा पार्टी के इस रुख से मोहभंग होता नजर आ रहा है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वादा किया है कि वे भारतीय सेना को भर्तियों के लिए आयु सीमा को बढ़ाने के लिए विशेष अनुरोध भेजेंगे।
|