देश में कोविड से जुड़े प्रतिबंधों को अब समाप्त किया जा रहा है क्योंकि संक्रमण के मामले में कमी दिख रही है। ऐसे में विशेषज्ञ इस बात पर सहमति जताते हैं कि पिछले दो सालों में सरकार ने जो सबक लिया है उसके आधार पर कोई अफसोस बाकी न रखने की नीति पर जोर दिया जाए। इस बात पर सहमति बन चुकी है कि ओमीक्रोन की प्रकृति इतनी संक्रामक नहीं है और इसमें अस्पताल में भर्ती होने के मामले भी कम ही हैं, ऐसे में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आगे टीकाकरण ही हमारा सबसे बेहतरीन सुरक्षा उपाय है और कमजोर वर्ग के लिए टीकाकरण खुराक बढ़ाने की जरूरत होगी। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है, 'हम लोग मंजिल तक नहीं पहुंचे हैं लेकिन हम सही दिशा में आगे जरूर बढ़ रहे हैं लेकिन हम अभी सीटबेल्ट नहीं निकाल सकते हैं।' रेड्डी का कहना है कि टीका गंभीर बीमारी से बेहतर सुरक्षा दे सकता है और इस वक्त जरूरत इस बात की है कि अगले कुछ महीने तक जब तक कि हालात बेहतर न हो जाएं मास्क पहनना जरूरी होगा। पिछले कुछ हफ्तों में राज्य सरकारों ने सप्ताहांत कफ्र्यू के साथ-साथ न केवल रेस्तरां, मॉल, सिनेमा हॉल, होटल पर से प्रतिबंध हटाया है बल्कि केंद्र ने भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा दिशानिर्देशों में भी छूट देते हुए उन यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर जांच की अनिवार्यता खत्म कर दी है जिन्होंने दोनों टीके लगवाएं हैं और इसके साथ ही जोखिम वाले देशों की सूची भी हटा दी है। वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी और वेलूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जैकब जॉन का कहना है, 'सरकार को सब कुछ खोलना चाहिए। अच्छी बात यह है कि ओमीक्रोन कोरोनावायरस के अन्य स्वरूपों से थोड़ा अलग है। जब हम अपने सुरक्षा उपायों में ढील दे रहे हैं तब हमारी सुरक्षा टीके से ही होगी।' हालांकि जॉन का कहना है कि देश का कोविड टीकाकरण कार्यक्रम अहम है और उनका कहना है कि हमारे देश में टीका है लेकिन टीकाकरण कार्यक्रम नहीं है। वह कहते हैं, 'हम नीति, डिलिवरी और नतीजों की निगरानी जैसे तीन अहम क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं।' उनका कहना है कि सरकार ने टीकाकरण के लिए एक स्पष्ट टीकाकरण नीति नहीं परिभाषित की है। उनका कहना है, 'मिसाल के तौर पर हम होटल चेन, परिवहन क्षेत्र और विश्वविद्यालय के लिए टीकाकरण को प्राथमिकता कैसे दे सकते हैं? बड़ी होटल चेन यह सब कुछ अपने हित में कर रही हैं और सरकार की तरफ से कोई दिशानिर्देश नहीं मिले हैं।' कई विशेषज्ञों को यह महसूस होता है कि शुरुआत से ही महामारी खत्म करने के लिए सरकार की रणनीति में टीकाकरण अहम हिस्सा नहीं रहा है। जॉन का कहना है, 'हमारे पास टीके पहले भी थे लेकिन हमने डेल्टा से पहले इसका इस्तेमाल नहीं किया। हमने ओमीक्रोन से पहले टीके लगवाए और अब भी टीके का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। हमने किसी भी वक्त टीके का इस्तेमाल बचाव के लिए नहीं किया। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की मौत बूस्टर खुराक न मिलने की वजह से न हो।' टीकाकरण से जुड़े राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने स्वास्थ्यकर्मी, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की अनुमति दी है। हालांकि समूह ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई फैसला नहीं लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के चेयरपर्सन जयप्रकाश मुलियिल कहते हैं, 'बच्चों का प्रदर्शन अच्छा है। उन्हें टीका देने की कोई जरूरत नहीं है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों में मरने की दर शून्य है। भारत में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता सबसे ज्यादा सुरक्षा देने वाला कारक है।'
