कच्चे तेल की आपूर्ति में अवरोधों से निपटने की तैयारी | त्वेष मिश्र / नई दिल्ली February 19, 2022 | | | | |
भारत घरेलू हाइड्रोकार्बन परिसंपत्तियों के सर्वेक्षण पर खर्च बढ़ाने जा रहा है ताकि देश को कच्चे तेल की कीमतों के झटकों से सुरक्षित रखा जा सके। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में आपूर्ति में अवरोध पैदा होने की स्थिति में भारत की विदेशी परिसंपत्तियों से तेल एवं गैस लाने के तरीकों पर विचार हो रहा है। ये कदम ऐसे समय उठाए जा रहे हैं, जब कच्चे तेल के वैश्विक कारोबार के सबसे प्रमुख बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड के दाम 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बने हुए हैं और ये जल्द ही 100 डॉलर प्रति बैरल को छू सकते हैं।
यूक्रेन को लेकर रूस के आक्रामक रुख के कारण भू-राजनीतिक अस्थिरता भी काफी अधिक है। इस घटनाक्रम से भारत जैसे तेल आयातक देशों पर दबाव आया है। भारत में कच्चे तेल की सालाना मांग करीब 22.5 करोड़ टन है, जिसका करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा होता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। मौजूदा कीमतें भू-राजनीतिक तनाव की वजह से बढ़ी हैं।' अधिकारी ने कहा, 'कीमतों में ऐसे बड़े उतार-चढ़ावों से देश को सुरक्षित करने का पहला कदम घरेलू उत्पादन बढ़ाना है और यह तभी हो सकता है, जब हाइड्रोकार्बन साइजमिक सर्वेक्षण पूरा हो। इससे हमें भारत के घरेलू तेल एवं गैस संसाधनों का उचित आकलन मिलेगा।'
केंद्र ने अक्टूबर 2016 में नैशनल साइजमिक प्रोग्राम (एनएसपी) शुरू किया था। इसका मकसद तलछट बेसिन में ताजा आकलन करना है। खास तौर पर उन जगहों पर, जिनके बिल्कुल भी नहीं या मामूली ब्योरे हैं। इसका मकसद भारत में हाइड्रोकार्बन की संभावनाओं की बेहतर जानकारी हासिल करना है।
इस कार्यक्रम के तहत ओएनजीसी और ओआईएल को देश भर में 2डी साइजमिक अधिग्रहण, प्र्रोसेसिंग और विवेचन (एपीआई) करने की जिम्मेदारी दी गई है। 2डी साइजमिक एपीआई परियोजना के लिए राष्ट्रीय साइजमिक कार्यक्रम (एनएसपी) मार्च 2019 तक पूरा होना था।
लेकिन यह मुहिम देरी के कारण प्रभावित हुई है और 30 नवंबर 2019 तक एनएसपी के तहत 48,143 एलकेएम में से 41,902 एलकेएम हासिल हो पाया। जानकार अधिकारियों के मुताबिक इस समय 47,000 एलकेएम का डेटा हासिल किया जा चुका है। मणिपुर और मेघालय जैसे कुछ पहाड़ी इलाकों में पहुंचने में दिक्कतों के कारण सर्वेक्षण की उन्नत तकनीक एयरबोर्न ग्रेविटी ग्रडियोमीटरी इस्तेमाल की गई है।
अधिकारी ने कहा, 'इस समय हम अंडमान में सर्वेक्षण कर रहे हैं। पिछले चार साल के दौरान देश भर में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही हो चुका है। भारत के सभी तलछट बेसिनो के बेहतर आकलन के लिए करीब 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत होगी।' देश में कुल 26 तलछट बेसिन हैं।
तेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम 22 देशों में 52 परिसंपत्तियों में अब तक 38 अरब डॉलर निवेश कर चुके हैं।'
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