जेएसडब्ल्यू इस्पात स्पेशल प्रोडक्ट्स यानी जेआईएसपीएल (पूर्व में मोनेट इस्पात ऐंड एनर्जी) ने रायपुर के अपने विनिर्माण संयंत्र को स्लम्प सेल के जरिये पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी मिवान स्टील्स (एमएसएल) को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। कंपनी का कहना है कि हितधारकों के लिए मूल्य को बढ़ाने और आंतरिक मूल्य को अनलॉक करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। बुधवार को हुई बैठक में बोर्ड ने एमएसएल की 100 फीसदी शेयर पूंजी के हस्तांतरण के जरिये एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई बनाने और उसे रायपुर विनिर्माण संयंत्र हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। हालांकि यह प्रस्ताव स्टॉक एक्सचेंज, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), शेयरधारकों, कंपनियों के लेनदारों और नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मंजूरियों पर निर्भर करेगा। एऑन कैपिटल के साथ संयुक्त उद्यम जेआईएसपीएल में जेएसडब्ल्यू स्टील की 23.1 फीसदी हिस्सेदारी है। एमएसएल द्वारा ऋण एवं नकदी के जरिये भुगतान की जाने वाली कुल रकम 443.11 करोड़ रुपये होगी। जेआईएसपीएल का अधिग्रहण 2018 में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत एक सौदे के जरिये किया गया था। इससे उसके वित्तीय लेनदारों को 11,015 करोड़ रुपये के दावे के एवज में 2,892 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। एऑन जेएसडब्ल्यू कंसोर्टियम इस परिसंपत्ति के लिए एकमात्र बोलीदाता था। जेआईएसपीएल के पास रायगढ़ और रायपुर में विनिर्माण संयंत्र हैं। रायपुर संयंत्र में 0.3 एमटीपीए क्षमता की एक स्पॉन्ज आयरन विनिर्माण इकाई, एक फेरो अलॉय इकाई और 0.25 एमटीपीए क्षमता की एक इस्पात विनिर्माण इकाई शामिल हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि यह इकाई अपेक्षाकृत कम मात्रा में उत्पादन के साथ ढांचागत एवं निर्माण क्षेत्र के लिए कमोडिटी ग्रेड के उत्पादों का विनिर्माण करती है। कंपनी ने यह भी कहा है कि यह इकाई अपने परिचालन क्षेत्र के आसपास मुख्य तौर पर सेवाएं प्रदान करती है। हालांकि रायगढ़ में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में उत्पादन के साथ विशेष इस्पात उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वह घरेलू और निर्यात बाजार के ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान करती है। भारत में वह उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के कुछ हिस्सों को कवर करती है। कंपनी ने कहा है कि प्रस्तावित लेनदेन के जरिये रायपुर संयंत्र के हस्तांतरण से वह विशेष इस्पात उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने और अपने विशेष इस्पात उत्पादों के लिए विकसित बाजारों में संभावनाएं तलाशने में समर्थ होगी।
