साल के अंत तक अर्थव्यवस्था में तेजी | असित रंजन मिश्र / नई दिल्ली February 16, 2022 | | | | |
वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि महामारी की शुरुआती दो लहरों की तुलना में तीसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर असर कम रहा है, ऐसे में साल के अंत तक आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ लेंगी। वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 22 में वृद्धि दर 9 प्रतिशत और वित्त वर्ष 23 में 8 प्रतिशत रहेगी।
वित्त मंत्रालय ने अपनी हाल की आर्थिक समीक्षा में कहा है, 'बजट में वित्त वर्ष 2022-23 में 3.0-3.5 प्रतिशत जीडीपी डिफ्लेटर के साथ 11.1 प्रतिशत नॉमिनल जीडीपी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। इसका मतलब है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि करीब 8 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुमान और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की फरवरी 2022 में बैठक में लगाए गए 7.8 प्रतिशत वृद्धि अनुमान के करीब है।' अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधारों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कृृषि क्षेत्र में बुआई के रकबे में बढ़ोतरी हो रही है और फसल का विविधिीकरण हो रहा है, जिससे खाद्यान्न भंडार मजबूत होगा। वहीं लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और पीएम किसान के माध्यम से धन दिए जाने से किसानों को लाभ होगा। इसमें कहा गया है, 'ग्रामीण कार्यबल को मनरेगा के माध्यम से अतिरिक्त सुरक्षा तैयार स्थिति में रहेगी, जैसा कि पिछले 2 वर्षों में हुआ है। विनिर्माण व निर्माण वृद्धि के प्रमुख चालक होंगे, जिन्हें पीएलआई योजनाओं और बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय से बल मिलेगा।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की तीसरी लहर का उच्च स्तर महज 31 दिन में खत्म हो गया, जबकि दूसरी लहर 79 दिन और पहली लहर का असर 220 दिन था। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को सीमित नुकसान हुआ है। इसमें कहा गया है, 'तीसरी लहर में सबसे कम मौते हुई हैं और तेजी से टीकाकरण कवरेज होने के कारण रोजाना होने वाली मौतें दूसरी लहर की तुलना में आधी रह गईं। 26 जनवरी 2022 को 3.1 लाख रोजाना नए मामले की तुलना में 15 फरवरी, 2022 को नए मामले घटकर 50 हजार रह गए।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि रीपो और रिवर्स रीपो में बदलाव न करने के साथ एमपीसी के समावेशी रुख और बजट में निवेश पर बल दिए जाने से अनिश्चितता के दौर में वृद्धि को प्राथमिकता देने की मंशा साफ होती है।
इसमें कहा गया है, 'अगर खुदरा महंगाई दर 4.5 प्रतिशत की तय सीमा में रहेगी, जैसा कि 2022-23 के लिए एमपीसी ने अनुमान लगाया है, अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी मौजूद रहेगी और ब्याज दरें कम रहेंगी तो इससे उद्योग और व्यक्तियों को आसान वित्तपोषण के अवसर मिलेंगे। वैश्विक महंगाई और कच्चे तेल की कीमतें भारत में महंगाई की दर को प्रभावित कर सकती हैं।'
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