बैंकों ने एबीजी शिपयार्ड घोटाला कम समय में पकड़ा : वित्त मंत्री | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली February 14, 2022 | | | | |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एबीजी शिपयार्ड को उधारी देने में शामिल बैंकों के कंसोर्टियम ने धोखाधड़ी के मामले को पकड़ऩे में औसत से कम वक्त लिया है। सीतारमण ने कहा कि सामान्यतया इस कार्य मं 53 से 54 महीनों का वक्त लगता है। सीतारमण ने कहा, 'यह प्रक्रिया 2014 से चल रही है। सामान्य तौर पर किसी भी खाते में धोखाधड़ी के तत्त्वों को चिह्नित करने में 52 से 54 महीने का वक्त लगता है। मैं कह सकती हूं कि इसका श्रेय बैंकों को मिलेगा, उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकडऩे के लिए औसत से कम समय लिया है। एक फोरेंसिक ऑडिट की गई। हर तरह के साक्ष्य एकत्र किए गए और उसे केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया। बहरहाल इसके समानांतर एनसीएलटी की प्रक्रिया भी चल रही है।
वित्त मंत्री नई दिल्ली में रिजर्व बैंक के बोर्ड के साथ बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ संवाददाताओं को संबोधित कर रही थीं। एबीजी शिपयॉर्ड द्वारा कथित 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी भारत की बैंकिंग व्यवस्था में पकड़ी गई अब तक की सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। इसमें प्रमुख बैंकरों में आईसीआईसीआई बैंक और आईडीबीआई बैंक थे, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने 2019 में सबसे पहले इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी।
एबीजी के खाते को नवंबर 2013 में गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था। कंपनी को फिर से चलाने की कई कवायदें की गई थीं और 2014 में समग्र पुनर्गठन योजना लाई गई। जब यह कवायद भी असफल रही तो जुलाई 2016 में एक बार फिर इसके खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया। 2018 में ईऐंडवाई को फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया गया। सीबीआई ने पिछले सप्ताह शिपयार्ड कंपनी के निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और अब वह इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी। सीतारमण ने कहा, 'मैं इस मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहती क्योंकि मैं रिजर्व बैंक के कार्यालय में बैठी हूं। लेकिन यह शोर मचाया जा रहा है कि इस सरकार की नाक के नीचे सबसे बड़ा घोटाला कैसे हुआ। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि यह खाता पहली बार 2013 में एनपीए घोषित किया गया था।
प्रधानमंत्री बताएं कि कैसे धोखाधड़ी हुई : कांग्रेस
कांग्रेस ने गुजरात के एबीजी शिपयार्ड द्वारा 22,842 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी के मामले को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि यह धोखाधड़ी कैसे हुई है और वह इस पर चुप क्यों हैं। पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि धोखाधड़ी के बारे में सरकार को 5 साल पहले जानकारी मिल गई थी, लेकिन सरकार ने 5 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर की बनाएंगे, लेकिन बैंकों से पांच हजार अरब रुपये की लूट हो गई।
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