ओमीक्रोन के बावजूद बाउंस दर कम | सुब्रत पांडा / मुंबई February 13, 2022 | | | | |
ओमीक्रोन की वजह से आई महामारी की तीसरी लहर के बावजूद जनवरी महीने में ऑटो पेमेंट बाउंस या बाउंस दरें मूल्य के आधार पर अगस्त 2019 के बाद सबसे निचले स्तर पर रहीं। इससे कर्जदाताओं की संपत्ति की गुणवत्ता में तेजी से सुधार के संकेत मिलते हैं। महामारी की दूसरी लहर का असर कम होने के बाद जुलाई 2021 के बाद से बाउंस दरें कम हो रही हैं।
नैशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (एनएसीएच) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी महीने में मात्रा के हिसाब से बाउंस दर 29.6 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 23.4 प्रतिशत रही। दिसंबर 2021 में मात्रा के हिसाब से बाउंस दर 30 प्रतिशत एवं मूल्य के आधार पर 24.4 प्रतिशत थी। पिछले माह की तुलना में देखें तो मात्रा के हिसाब से इसमें 30 आधार अंक और मूल्य के आधार पर 100 आधार अंक (बीपीएस) की कमी आई है।
मैक्वायर रिपोर्ट के मुताबिक बाउंस दरें कोविड के पहले के महीनों सितंबर 2019 से फरवरी 2020 की तुलना में कम रही हैं। यह मूल्य के आधार पर अक्टूबर-दिसंबर 2021 अवधि की तुलना में 140 आधार अंक बेहतर है, जो आर्थिक रिकवरी के हिसाब से इस वित्त वर्ष की बेहतरीन तिमाही थी।
मैक्वैरी कैपिटल के एसोसिएट डायरेक्टर सुरेश गणपति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'यह संकेत है कि वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही की प्रमुख बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता के हिसाब से धारणा कायम है। आर्थिक गतिविधियों और संग्रह पर कोविड की तीसरी लहर का कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है। हमारा मानना है कि बाउंस दरों में सुधार असुरक्षित खुदरा कर्ज की वृद्धि पर सकारात्मक असर डालेगा, क्योंकि इससे बैंकों का भरोसा बहाल होगा।'
गणपति ने आगे कहा, 'हमारा मानना है कि खुदरा और एसएमई गैर निष्पादित कर्ज आगे और घटेगा, क्योंकि कर्ज अनुशासन में सुधार हो रहा है और रिकवरी बढ़ रही है। ऐसे में असुरक्षित पोर्टफोलियो में ज्यादा बढ़ोतरी पर बैंक जोर देंगे, जिसकी वजह से उनका मुनाफा बढ़ेगा।'
इसके पहले विशेषज्ञ इस बात से चिंतित थे कि तीसरी लहर की वजह से बाउंस दर एक बार फिर बढ़ सकती है,क्योंकि विभिन्न प्राधिकारियों की वजह से कुछ प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, जिससे कोरोना के प्रसार को रोका जा सके। दिसंबर के अंत और जनवरी में कोविड का बहुत तेजी से प्रसार हो रहा था। लेकिन प्रतिबंध बहुत हल्के थे, जिसकी वजह से जनवरी में बाउंस दर पर बमुश्किल कोई असर पड़ा।
ज्यादातर बैंकों की तीसरी तिमाही की कमाई अच्छी रही और इससे पता चलता है कि कोविड-19 के मामलों में तेजी आई थी, लेकिन इसका असर मामूली रहा।
एनएसीएच प्लेटफॉर्म पर असफल ऑटो डेबिट अनुरोध को सामान्यतया बाउंस दर कहा जाता है। एनएसीएच थोक भुगतान प्रणाली है, जिसका संचालन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) करता है।
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