केंद्र की उधारी पर ऊहापोह | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली February 13, 2022 | | | | |
वित्त मंत्रालय में उधारी लेने को लेकर इस समय दो विचार चल रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक एक पक्ष की राय है कि सामान्य तरीके से पहली छमाही में 60 प्रतिशत उधारी ली जाए, जबकि एक पक्ष का मानना है कि उधारी कैलेंडर में बाद के महीनों में ज्यादा कर्ज का प्रावधान किया जाए।
सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (व कुछ अन्य पश्चिमी देशों के नियामक बैंकों द्वारा भी) नकदी वापस लिए जाने, जिंसों के वैश्विक दाम में तेजी और भारत में ब्याज दरों पर पडऩे वाले इसके संभावित असर को देखते हुए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक अप्रैल-सितंबर 2022 की उधारी की योजना पर बहुत सावधानीपूर्वक फैसला करेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने इस पर विचार किया है, क्योंकि यह भी देखना है कि फेड किस तरह व्यवहार करता है और ब्याज दरों पर इसका क्या असर होता है। हमें अपने संसाधनों के अनुमान को देखना है, जिसमें थोड़ा वक्त लगेगा। अगर हमें लगता है कि बाद में कर्ज लेना ज्यादा मुफीद होगा तो सरकार दूसरी छमाही में ज्यादा उधारी लेगी। हम उनके लिए दरों में व्यवधान नहीं डालना चाहते।'
वित्त वर्ष 23 के लिए केंद्र की शुद्ध उधारी का लक्ष्य 11.58 लाख करोड़ रुपये है और सकल उधारी का लक्ष्य 14.95 लाख करोड़ रुपये है। आगामी साल के लिए उधारी का लक्ष्य 63,500 करोड़ रुपये कम किया जा सकता है क्योंकि यह राशि रिजर्व बैंक बाजार हिस्सेदारों से लेगा।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 22 के ऋण लक्ष्य का 60.6 प्रतिशत अप्रैल-सितंबर में लिया था। वित्त वर्ष 21 में केंद्र ने घोषणा की थी कि पहली छमाही में उधारी योजना का 62.6 प्रतिशत उधारी लेगी। कोविड-19 महामारी के कारण ऐसी उम्मीद की गई थी। वित्त वर्ष 20 में पहली छमाही में यह अनुपात 62.25 प्रतिशत था।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि अगर वैश्विक कारक जैसे फेड का बदलाव और जिंसों के दाम के मामले नहीं होते तो केंद्र सरकार संभवत: अप्रैल-सितंबर और अक्टूबर-मार्च के दौरान उधारी की सामान्य परंपरा का पालन करती। उन्होंने कहा, 'हम इस मसले पर मार्च की तीसरे या चौथे सप्ताह में फैसला करेंगे।'
अगर उधारी की स्थिति देखें तो 11.58 लाख करोड़ रुपये शुद्ध उधारी का 60 प्रतिशत करीब 8.97 लाख करोड़ रुपये होता है। वित्त वर्ष 22 में केंद्र सरकार ने 7.24 लाख करोड़ रुपये उधारी पहली छमाही में ली थी।
उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकारें साल की दूसरी छमाही में उधारी लेंगी और इसे भी केंद्र व रिजर्व बैंक ध्यान में रखेंगे।
वित्त वर्ष 23 के बजट में बड़े पैमाने पर उधारी की योजना राष्ट्रीय लघु बचत कोष से कम निकासी और बॉन्ड प्रतिफल बढऩे की वजह से है। जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया, उस सप्ताह 10 साल के जी-सेक का प्रतिफल बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गया था। शुक्रवार को यह 6.69 प्रतिशत पर बंद हुआ था। प्रतिफल में यह बढ़ोतरी अमेरिकी फेड द्वारा कोविड-19 प्रोत्साहन धीरे धीरे वापस लेने और सख्ती की वजह से थी।
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