वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मकान खरीदने वालों के लिए भी एक घोषणा की है। उन्होंने बजट में प्रस्ताव दिया है कि संपत्ति खरीदते समय मकान खरीदार को 1 फीसदी की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करनी चाहिए। टीडीएस कटौती के समय मकान बेचने वाले को दी जाने वाली रकम और स्टांप शुल्क देखना चाहिए। दोनों में से जो भी ज्यादा हो, उसी पर 1 फीसदी टीडीएस काटना चाहिए। नियम में यह संशोधन सभी प्रकार की गैर कृषि और अचल संपत्तियों पर लागू होगा बशर्ते उनकी कीमत या उनके लिए अदा किया गया स्टांप शुल्क 50 लाख रुपये से अधिक हो।कानूनों में तालमेल आयकर अधिनियम की धारा 194आईए संपत्ति के सौदों पर टीडीएस कटौती से जुड़ी है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान कहते हैं, 'कुछ साल पहले तक संपत्ति से जुड़े सौदों का पता लगाने के लिए 50 लाख रुपये से अधिक के सौदों पर आयकर अधिनियम की धारा 194आईए के तहत टीडीएस की व्यवस्था की गई थी। अब नए प्रस्ताव के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जब 50 लाख रुपये से अधिक का मकान खरीदेगा तो उसे टीडीएस काटना पड़ेगा और उसे सरकार के पास जमा कराना पड़ेगा।' बजट संशोधन का एक अहम मकसद यह है कि आयकर अधिनियम की, 1961 की विभिन्न धाराओं के बीच एकरूपता लाई जाए। ये धाराएं 194-आईए, 43सीए और 50सी हैं। अभी तक धारा 194-आईए के तहत बिक्री से मिलने वाली राशि पर टीडीएस काटा जाता था। अधिनियम की धारा 43सीए और 50सी के तहत मामला कुछ अलग था। ये धाराएं 'व्यापार अथवा व्यवसाय से होने वाले लाभ' तथा 'पूंजीगत लाभ' मद के तहत आय की गणना से संबंधित होती हैं। इनमें बिक्री से मिलने वाल राशि और स्टांप शुल्क में जो भी रकम ज्यादा होती है, उसी के हिसाब से कर लिया जाता है। अब धारा 194-आईए के तहत भी यही काम करना होगा।कर चोरी पर लगाम मकान खरीदने वाला व्यक्ति जब विक्रेता को देने वाली रकम से टीडीएस काट लेगा तो उसे यह कर की यह राशि आयकर विभाग के पास जमा भी करनी होगी। इस संशोधन के बाद कर विभाग संपत्ति के ऐसे सौदों का पता लगाने में मदद मिल जाएगी, जो स्टांप मूल्य से कम दाम पर किए जाते हैं। विक्टोरियम लीगलिस - एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में सीनियर पार्टनर मुकुल चोपड़ा समझाते हैं, 'इससे अधिकारियों को कर चोरी पकडऩे में आसानी हो जाएगी क्योंकि मकान बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों के फॉर्म 26एएस में इस राशि का जिक्र होगा।' पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज बताते हैं, 'यदि दोनों में किसी तरह का अंतर मिलता है तो कर विभाग यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर देगा कि कर चोरी तो नहीं की जा रही है।' अगर किसी सौदे में बिक्री की राशि यानी कीमत और स्टांप शुल्क दोनों ही 50 लाख रुपये से कम हों तो क्या होगा? प्रिवी लीगल सर्विस एलएलपी में मैनेजिंग पार्टनर मुइज के रफीक कहते हैं, 'बजट 2022 में किया गया संशोधन स्पष्ट रूप से कहता है कि ऐसी स्थिति में धारा 191-आईए के तहत किसी भी तरह का कर चुकाए जाने की जरूरत नहीं है।'पड़ेगा मामूली असर विशेषज्ञों के अनुसार इस बदलाव का वास्तव में कोई बड़ा असर नहीं होगा। स्क्वैर याड्र्स के सह संस्थापक और मुख्य वित्तीय अधिकारी पीयूष बोथरा कहते हैं, 'बेचने वाले की जेब में जो पैसा जाता है, वह कम हो जाएगा। मान लीजिए कि किसी संपत्ति का सर्कल रेट 60 लाख रुपये है मगर आप उस संपत्ति को 75 लाख रुपये में बेचते हैं। पहले खरीदार बतौर टीडीएस 60,000 रुपये काटता था। मगर अब वह 75,000 रुपये काटेगा। इसीलिए संपत्ति बेचने वाले की जेब में पहले के मुकाबले 15,000 रुपये कम जाएंगे। मगर 60 लाख रुपये की संपत्ति बेचने वाले के लिए 15,000 रुपये मामूली सी रकम है।' कुछ मामलों में इसकी वजह से ज्यादा रकम फंस जाएगी। जालान कहते हैं, 'रियल एस्टेट की कीमतें वाकई में कई साल से नहीं बढ़ी हैं। आजकल अक्सर संपत्ति बेने वाले को संपत्ति की बिक्री पर घाटा होता है। ऐसी स्थिति में अधिक टीडीएस रकम काटने पर बिक्री करने वाले की ज्यादा पूंजी फंस जाएगी।'रखिए ध्यान खरीदारों को ध्यान रखना चाहिए कि वे टीडीएस की एकदम सटीक रकम काटें और उसे सरकार के पास जमा कर दें। जालान का यह भी कहा है कि टीडीएस वाली राशि का ध्यान नहीं रखने पर वित्तीय प्रभाव कम हो सकता है मगर मकान खरीदने वाले को इसकी वजह से बेजा जुर्माना और ब्याज भुगतना पड़ेगा।
