तेल-तिलहन के स्टॉक पर सख्ती | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली February 04, 2022 | | | | |
केंद्र सरकार ने खाद्य तेल व तिलहन की स्टॉक सीमा पर सख्ती बढ़ाते हुए इसकी तिथि 30 जून, 2022 तक कर दी है। साथ ही जिन राज्यों ने भंडारण की मात्रा तय नहीं की थी, वहां के कारोबारियों के भंडारण की मात्रा भी तय की गई है।
सरकार ने अक्टूबर 2021 में जारी एक आदेश से खाद्य तेल और तिलहन की कीमतों पर काबू पाने के लिए भंडारण की सीमा तय कर दी थी। लेकिन यह राज्यों पर छोड़ा गया था कि वे भंडारण की मात्रा तय करें, जो उनकी स्थानीय जरूरतों के मुताबिक हो।
बहरहाल उसके बाद से 6 राज्यों- उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार ने खुदरा कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं और थोक व्यापारियों के लिए भंडारण की सीमा तय की थी। शेष राज्यों ने मात्रा तय नहीं की थी। यह आदेश मार्च, 2022 तक के लिए वैध था।
दिशानिर्देशों की समीक्षा के बाद केंद्र सरकार ने अब यह नियम जारी किया है कि खुदरा कारोबारी सिर्फ 30 क्विंटल खाद्य तेल और 100 क्विंटल तिलहन रख सकते हैं। वहीं थोक कारोबारियों के लिए 500 क्विंटल खाद्य तेल और 200 क्विंटल तिहलन रखने की सीमा तय की गई है।
यही मानक खुदरा कारोबारियों की बड़ी कंपनियों और प्रसंसस्करणकर्ताओं पर भी लागू होगा। यह नियम उन 6 राज्यों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने थोक और खुदरा कारोबारियों के लिए अपनी स्टॉक सीमा तय की है।
सरकार ने एक बयान में कहा है, 'इस फैसले से राज्यों को खाद्य तेल व तिलहन के भंडारण और वितरण को नियमित करने की शक्ति मिलेगी, जिससे देश में जमाखोरी पर काबू पाया जा सके।'
यह सख्ती ऐसे समय में की गई है, जब रबी फसल सत्र का तिलहन उत्पादन इस साल की तुलना में ज्यादा रहने का अनुमान लगाया गया है।
हाल के आंकड़ों के मुताबिक इस साल तिलहन की बुआई करीब 102.7 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा है। इस साल सरसों का उत्पादन 110 लाख टन से ज्यादा रहने की संभावना है, जो पिछले साल के 85 लाख टन की तुलना में ज्यादा है।
स्टॉक सीमा सख्त करने का फैसला संसद में पिछले सप्ताह पेश आर्थिक समीक्षा के महज कुछ दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि आवश्यक जिंसों के दाम बढऩे पर तात्कालिक प्रतिक्रिया देने पर घरेलू उत्पादकों को गलत संदेश जाता है और इससे अनिश्चितता पैदा होती है।
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