पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बढ़ा दबाव | त्वेष मिश्र / नई दिल्ली February 04, 2022 | | | | |
भारत में पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड तेल का कारोबार 92.97 डॉलर प्रति बैरल के भाव हुआ।
कच्चे तेल के कारोबार में ब्रेंट सबसे लोकप्रिय मापक है और इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय रूप से विश्व के दो तिहाई देशों में मानक के रूप में होता है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि कच्चे तेल के भारतीय बॉस्केट (औसत मूल्य का आकलन, जिस पर भारत के तेल शोधन संयंत्र कच्चा तेल खरीदते हैं) की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखी गई है और यह 1 दिसंबर, 2021 के 71.32 डॉलर प्रति बैरल से 17 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 27 जनवरी, 2022 को 88.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। 3 फरवरी, 2022 को भारतीय बॉस्केट 89.12 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। अगर ब्रेंट आगे और महंगा होता है तो इसमें आने वाले दिनों में और तेजी आ सकती है।
पुरी के मुताबिक भारत में पेट्रोल व डीजल की खुदरा बिक्री कीमत संबंधित अंतरराष्ट्रीय मूल्य से जुड़ी हुई है।
पुरी ने कहा, 'पेट्रोल की अंतरराष्ट्रीय कीमत, जिसके आधार पर देश में कीमत तय होती है, 1 दिसंबर, 2021 के 79.55 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 27 जनवरी, 2022 को 101.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। डीजल की अंतरराष्ट्रीय कीमत, जिसके आधार पर देश में डीजल की कीमत तय होती है, 1 दिसंबर, 2021 के 78.48 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 27 जनवरी, 2022 को 102.70 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।'
लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) वाहन ईंधन की कीमतें स्थिर बनाए हुए हैं। इससे तेल कंपनियों के मुनाफे पर दबाव बढ़ रहा है, जिन्हें इच्छित मूल्य से कम भाव पर बिक्री करनी पड़ रही है। देश के 5 राज्यों में चुनाव होने हैं और ऐसे में अगर पेट्रोल डीजल की कीमत में बढ़ोतरी होती है तो यह राजनीतिक रूप से अलोकप्रिय कदम होगा।
कच्चे तेल की कीमत अधिक होने की वजह के बारे में पुरी ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव रहा है। इसकी प्रमुख वैश्विक वजहें रही हैं, जिसमें ओपेक देशों द्वारा उम्मीद से कम उत्पादन बहाल करना, कोविड-19 व उसकी विभिन्न लहरों के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के गति पकडऩे से मांग में बढ़ोतरी, भू राजनीतिक तनाव, खपत करने वाले प्रमुख देशों में सामान्य से कम भंडारण और पिछले कुछ वर्षों के दौरान कच्चे तेलके उत्पादन केंद्रों पर कम निवेश शामिल हैं।'
भारत यह कवायद कर रहा है कि तेल उत्पादक देशों से बढ़े दाम कम कराए जा सकें, लेकिन उसकी अब तक की कवायद सफल साबित नहीं हुई है।
जनवरी में पुरी ने तेल संपन्न देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राष्ट्रीय तेल कंपनी अबूधाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) के प्रबंध निदेशक और समूह मुख्य कार्याधिकारी सुल्तान अल जबेर से फोन पर बात की थी। एक ट्वीट में पुरी ने कहा कि द्विपक्षीय ऊर्जा साझेदारी से जुड़े कई मसलों पर चर्चा हुई है। उन्होंने यूएई में आतंकी हमले की भी निंदा की, जिसमें दो भारतीयों को जान गंवानी पड़ी।
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