जनवरी में भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां घटकर 6 माह के निचले स्तर पर आ गईं। इसकी वजह कोविड-19 की ओमीक्रोन लहर के तेजी से प्रसार के कारण विभिन्न इलाकों में आवाजाही पर प्रतिबंध और महंगाई का दबाव है। विश्लेषक फर्म आईएचएस मार्किट के आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जनवरी में गिरकर 51.5 पर आ गया, जो दिसंबर में 55.5 था। सूचकांक में 50 अंक से ज्यादा आर्थिक गतिविधियों में विस्तार और इससे कम संकुचन का संकेतक है। आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली फर्म ने कहा कि जनवरी के आंकड़े से सेवा प्रदाताओं के व्यय में बढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं। कुल मिलाकर महंगाई की दर दिसंबर 2011 के बाद के उच्चतम स्तर पहुंच गई। सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि खाद्य, ईंधन, सामग्री, कर्मचारी और परिवहन की लागत में बढ़ोतरी हुई है। आईएचएस मार्किट में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलियाना डी लीमा ने कहा, 'महामारी के प्रसार और फिर से कफ्र्यू लागू किए जाने से सेवा क्षेत्र की वृद्धि पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। नए कारोबार और उत्पादन दोनों की बढ़ोतरी 6 महीने में निचले स्तर पर रही।' उन्होंने कहा कि कोविड-19 की मौजूदा लहर कितनी लंबी चलेगी, इस बात की चिंता ने कारोबारी भरोसे को प्रभावित किया और इसके कारण नौकरियों में छटनी हुई। फर्मों के ऊपर लागत का भी दबाव रहा है। कुछ कारोबारों में आउटपुट की जरूरतों में कमी और भविष्य की अनिश्चितता की वजह से सेवा क्षेत्र की नौकरियों में गिरावट आई है। रोजगार में कमी आई है, लेकिन यह दिसंबर के करीब ही रहा है। आईएचएस मार्किट ने कहा कि कार्यबल कम होने के कारण सेवा फर्मों में काम का दबाव बढ़ा है और पिछले 5 महीनों में लगातार गिरावट के संकेत मिले हैं। इसमें कहा गया है, 'आखिरकार पूरी दुनिया में कोविड-19 के मामले बढऩे और यात्रा पर प्रतिबंध की वजह से भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग कम हई है। नए निर्यात कारोबार में मामूली गिरावट आई है, जो मार्च 2020 में शुरू हुए संकुचन के क्रम में सबसे सुस्त रहा है।' यह आंकड़ा ऐसे समय में आया है, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय बजट पेश किया है। चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 9.2 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। 2020-21 में इसमें 6.6 प्रतिशत का संकुचन आया था। सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में 2022-23 में रियल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि बढ़कर 8 से 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
