वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट के आवंटन में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं की है। पिछले साल वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य और बेहतरी पर व्यय में 137 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की थी। इस बजट में कोविड टीकाकरण में राज्यों की मदद के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से पता चलता है कि टीकाकरण अभियान पर 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 16, जनवरी 2021 को शुरू किए गए टीकाकरण अभियान के बाद अब तक 75 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को टीके लग चुके हैं। संशोधित अनुमानों की तुलना में 2022-23 के बजट में स्वास्थ्य पर खर्च 0.23 प्रतिशत बढ़ाकर 86,200 करोड़ रुपये किया गया है। स्वास्थ्य के विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार अब महामारी के बाद के चरण में प्रवेश के संकेत दे रही है। टीकाकरण के लिए आवंटन में कमी भी संभवत: इस बात का संकेत है कि सरकार यह अनुभव कररही है कि देश में पर्याप्त टीकाकरण हो चुका है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा, 'बजट में स्वास्थ्य के कुछ निश्चित क्षेत्र पर बल दिया गया है, लेकिन स्वास्थ्य कार्यबल पर हमें ज्यादा खर्च करने की जरूरत है। सरकार इस बजट के माध्यम से संकेत दे रही है कि कोविड अब जोखिम नहीं रह गया है।' बजट दस्तावेजों के मुताबिक टीकाकरण की कम जरूरत की वजह से मेडिकल व स्वास्थ्य पर व्यय इस साल के 74,820 करोड़ रुपये सेघटकर अगले साल के लिए 41,011 करोड़ रुपये रह गया है। महामारी के कारण स्वास्थ्य और आर्थिक असर से प्रभावित लोगों की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और हम अब चुनौतियों का सामना करने को लेकर मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, 'हम ओमीक्रोन लहर के बीच में हैं, जब मामले उच्च स्तर पर हैं, लेकिन इसके लक्षण घातक नहीं हैं। हमारे टीकाकरण अभियान से इसमें बड़ी मदद मिली है।' राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आवंटन में 7 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का बजट भी 7,400 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन का बजट भी 315 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 978 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने नैशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की घोषणा की है, जो महामारी के कारण सभी उम्र के लोगों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए किया गया है। सीतारमण ने कहा, 'इसमें 23 टेली मेंटल हेल्थ सेंटर आफ एक्सिलेंस शामिल होंगे और एनआईएमएचएएनएस नोडल केंद्र होंगे। इसे इंटरनैशनल इंस्टीट्यूट आफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी बेंगलूरु की तरफ से तकनीकी समर्थन मिलेगा।' अपोलो टेली हेल्थ के सीईओ विक्रम थापलू ने कहा, 'इस कदम से इस क्षेत्र में काम करने वाले निजी कारोबारियों व स्टार्टअप को मौजूदा कवरेज छोटे व मझोले शहरों तक बढ़ाने में मदद मिलेगी और इन इलाकों में उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकेंगी।' कोविड-19 के बाद से डिजिटल हेल्थकेयर सेवाओं का इस्तेमाल करीब 80 प्रतिशत बढ़ा है। महामारी के बाद के दौर में स्वास्थ्य देखभाल के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना है, जिसके लिए सरकार के ठोस कदमों की जरूरत होगी। फोर्टिस हेल्थकेयर के एमडी और सीईओ आशुतोष रघुवंशी ने कहा, '2 लाख आंगनवाड़ी में सुधार और डिजिटल हेल्थ मिशन लागू किए जाने से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। डिजिटल स्वास्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमें ज्यादा आवंटन करने की जरूरत है।'
