पेट्रोल पंपों के आवंटन पर खिंचाई | त्वेष मिश्र / नई दिल्ली January 28, 2022 | | | | |
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने नए पेट्रोल पंपों के कम आवंटन को लेकर नाखुशी जाहिर की है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के लिए उद्योग समन्वयक भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) को लिखे पत्र में पेट्रोलियम मंत्रालय ने पूछा है कि पेट्रोल पंपों की प्रस्तावित संख्या के आधे से भी कम के लिए ड्रॉ क्यों निकाला गया।
मंत्रालय ने पत्र में कहा है, 'पता चला है कि आज तक प्रस्तावित स्थानों के 50 फीसदी से भी कम के लिए ड्रॉ निकाले गए हैं और उसी के अनुरूप करीब 32,000 आशय पत्र (एलओआई) जारी किए गए हैं।'
पत्र में कहा गया है, 'यह भी देखा गया है कि तेल विपणन कंपनियों ने विज्ञापन में गलत नाम होने पर कई सारे ठिकानों को रद्द कर दिया है और विभिन्न ठिकानों को या तो शून्य प्रतिक्रिया मिली है या फिर शून्य चुनाव किया गया है।'
पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक नई सड़कों, राजमार्गों, ई-वेज और आर्थिक गलियारों का निर्माण होने की वजह से अधिक संख्या पेट्रोल पंपों की स्थापना किए जाने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि उपभोक्ताओं की पहुंच में सुधार लाने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों मेंं भी पेट्रोल पंपों की स्थापना करना तेल कंपनियों की जिम्मेदारी है। यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि शहरों में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत अधिक होने के कारण तेल विपणन कंपनियां केवल शहरी क्षेत्रों में ही पेट्रोल पंपों की संख्या बढ़ाकर ही जिम्मेदारी का पूरा नहीं समझें।
ग्रामीण और कम आबादी वाले इलाकों में पेट्रोल पंप खोलने की जिम्मेदारी नए लाइसेंसधारकों का भी है जिन्हें उदार शर्तों के तहत देश के बढ़ते बाजार में पहुंच की अनुमति दी गई है। नए लाइसेंसधारक जितने भी पेट्रोल पंप स्थापित करेंगे उन्हें उसका पांच फीसदी अपने परिचालनों के आरंभ करने के पांच वर्षों के भीतर ग्रामीण इलाकों में स्थापित करना होगा।
मंत्रालय ने बीपीसीएल को उद्योग की तरफ से नए विज्ञापन के लिए एक प्रस्ताव जमा कराने के लिए भी कहा है। प्रस्ताव में तेल विपणन कंपनियों के आधार पर ठिकानों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए।
लेकिन तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल पंपों के संबंध में केवल इसी मोर्चे पर नहीं जूझ रही हैं। एक अन्य संवाद में मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी पालन करते हुए पेट्रोल पंप परिचालकों को भुगतान किए जाने वाले मार्जिन को संशोधित करने पर विचार करने के लिए कहा है।
राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया, 'प्रतिक्रियादाताओं के सक्षम प्राधिकारी कानून के मुताबिक इस पर विचार करेंगे और निर्णय लेंगे और जितनी जल्दी हो सके जरूरी कार्रवाई करेंगे जो कि 12 हफ्तों के भीतर पूरा होना चाहिए।'
अदालत ने यह आदेश राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की एक याचिका के संदर्भ में दिया था। इस याचिका में डीलर के मार्जिन को बढ़ाने की मांग की गई थी। मार्जिन में संशोधन के लिए तेल विपणन कंपनियों को सक्षम प्राधिकरी बनाया गया था।
मंत्रालय ने डीलरों की तरफ से उनके वकीलों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दाखिल किए गए प्रश्नों के जबाव में कहा, 'पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को डीलर के कमीशन में संशोधन के संबंध में प्र्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं जिन्हें तेल विपणन कंपनियों के बतौर समन्वयक बीपीसीएल के पास भेजा गया है ताकि वे अपने स्तर से इसका उचित जवाब दें।'
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