भारतीय लेनदार अपने बकाये की वसूली के लिए कई बड़ी बिजली उत्पादन एवं पारेषण परियोजनाओं की बिक्री की तैयारी कर रहे हैं। इन परियोजनाओं में केएसके महानदी, लैंको अनपारा पावर, लैंको अमरकंटक पावर और साउथ-ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन शामिल हैं। दिवालिया प्रक्रिया के तहत इन परियोजनाओं की बिक्री के लिए मार्च अंत की निर्धारित समय-सीमा अब दूर नहीं है। इस बिजली उत्पादन एवं पारेषण परियोजनाओं के लिए कई परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी) बोली लगा सकती हैं जिसमें टाटा, जेएसडब्ल्यू और अदाणी समूह के भी शामिल होने के आसार हैं। लेनदारों ने उम्मीद जताई है कि मौजूदा दौर में उसे कोई उपयुक्त खरीदार अवश्य मिलेगा। बिजली परियोजनाओं को दुरुस्त करने की लागत करीब 5 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट होती है। हालांकि लेनदारों ने पहले भी कहा था कि उन्हें काफी कम बोलियां प्राप्त हुई थीं जो 1 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट से कम की थीं। इसलिए एक अन्य दौर की बोली आयोजित की जा रही है। आईडीबीआई बैंक लैंको अनपारा पावर की बिक्री का नेतृत्व कर रहा है। यह लैंकों इन्फ्राटेक की सहायक इकाई है जो फिलहाल परिसमापन में है। बैंक ने उत्तर प्रदेश में मौजूद 1,200 मेगावॉट की इस बिजली परियोजना के लिए 819 करोड़ रुपये का एंटरप्राइज मूल्य निर्धारित किया है। एक सूत्र ने कहा, 'हम इस साल मार्च तक लेनदेन पूरा होने की उम्मीद करते हैं और इसके लिए ताजा बोली पहले ही आमंत्रित की जा चुकी है।' छत्तीसगढ़ के कोरबा में लैंको की एक अन्य परियोजना 1,320 मेगावॉट की लैंको अमरकंटक पावर को भी बिक्री के लिए रखा गया है। इसके लिए बोली की अंतिम समय-सीमा 26 मार्च निर्धारित की गई है। लैंको समूह और उसकी सहायक कंपनियां आईबीसी 2016 के तहत ऋण समाधान के लिए दिवालिया अदालत में भेजी गई पहली सूची की कंपनियों में शामिल हैं। समूह द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण की अदायगी में चूक किए जाने पर यह कार्रवाई की गई थी। इस महीने के आरंभ में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने केएसके महानदी पावर पर अपनी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की बिक्री को 31 दिसंबर तक के लिए अस्थायी तौर पर टाल दिया था। ऋण अदायगी में चूक करने वाली कंपनियों की बोली प्रक्रिया में परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के भाग लिए जाने पर आयकर विभाग द्वारा सवाल उठाए जाने के कारण ऐसा किया गया था। विभाग ने बैंक से कहा था कि जांच प्रक्रिया पूरी होने तक बिक्री को टाल दिया जाए। एक सूत्र ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिए जाने के तुरंत बाद बिक्री की प्रक्रिया दोबारा शुरू हो जाएगी। केएसके महानदी ने मार्च 2018 में लेनदारों के 21,760 करोड़ रुपये की अदायगी में चूक किया था। लेनदार अब उस रकम को बट्टेखाते में डालने के कगार पर हैं। केएसके महानदी में एसबीआई का 4,100 करोड़ रुपये का बकाया है। बैंक ने इससे पहले किसी भी बोलीदाता को इस एनपीए की बिक्री के लिए 1,423 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य निर्धारित किया था जिनमें एआरसी, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) से लेकर वित्तीय संस्थान तक शामिल थे।
