संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज घोषणा की कि मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं पर दूरसंचार विभाग का दोहरा नियामकीय नियंतत्रण नहीं होगा। इससे उस विवादास्पद लड़ाई का पटाक्षेप जाएगा, जिसमें मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं ने दूरसंचार विभाग के उस निर्देश का विरोध किया था, जिसमें उन्हें अपने फोन के अनिवार्य परीक्षण के लिए टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) जाना होगा। उपकरण विनिर्माताओं का कहना था कि उनके उत्पाद पहले ही इसी वजहों से बीआईएस में परीक्षण से गुजर चुके होते हैं। वैष्णव ने आश्वस्त किया कि मोबाइल उपकरण विनिर्माता मौजूदा हल्के नियमों के तहत आएंगे, जिसके तहत उन्हें भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाना है। वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं से यह भी कहा कि मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रियल जोन बनाने के लिए 3 जगह जमीन चिह्नित की है, जहां चीन और वियतनाम की तर्ज पर बिजली, पानी, सड़क जैसी सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, जिसकी मांग उद्योग कर रहा है। इसमें से एक रेलवे की जमीन है, जिसमें प्रत्येक का आकार 700 से 1000 एकड़ है और कुछ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और बड़े शहरों के नजदीक है। उन्होंने हिस्सेदारों से कहा कि वे पहल करें और कम से कम एक परियोजना के साथ शुरुआत करें। उन्होंने यह भी घोषणा की कि संबंधित राज्यों से इस सिलसिले में बातचीत हो चुकी है और केंद्रीय श्रम मंत्री मौजूदा श्रम कानून में बदलाव करेंगे, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता चीन की तर्ज पर 40,000 से 1 लाख कर्मचारियों की बड़ी फैक्टरियां तैयार कर सकें। वैष्णव ने कहा कि मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि मौजूदा नियमों में बदलाव किया जाएगा, जिससे फैक्टरी परिसर में ही कर्मचारियों के आवास की सुविधा मुहैया कराई जा सके, जो ऐसी फैक्टरियों के लिए प्रमुख मांग है, जहां महिलाएं काम करती हैं। बड़ी फैक्टरी में बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास की सुविधा हाल में तब मसला बना जब फॉक्सकॉन की फैक्टरी में विषाक्त भोजन से कर्मचारी बीमार पड़ गए और इसके खिलाफ महिला कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इस घटना पर ऐपल ने खेद जताया और फॉक्सकॉन को निगरानी में डाल दिया।
