वित्त वर्ष 2022-23 का बजट आने ही वाला है। आम आदमी हो, वेतनभोगी हो, कारोबारी हो, उद्योगपति हो या बाजार में रकम लगाने वाला हो, बजट का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। इसीलिए पूंजी बाजार के प्रतिभागी बजट का और उसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्हें कर से संबंधित प्रस्तावों और अर्थव्यवस्था को ताकत देने के उपायों का खास तौर पर इंतजार है। जब इतना इंतजार हो रहा है तो कयास और अटकलें भी होंगी। बजट से पहले खास तौर पर कयासों भरी खबरें और अटकलें बाजार में तैरने लगती हैं। कई बार निवेशक उन खबरों को सही मानकर शेयरों की खरीदफरोख्त भी कर डालते हैं। वित्तीय सलाहकार इससे बचने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि लंबे समय के निवेश करने वाले जिन लोगों ने कुछ निश्चित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर रकम लगाई है, उन्हें बजट के दिन होने वाली घोषणाओं से पहले चल रही इन अफवाहों पर बिल्कुल भी ध्यान देने की जरूरत नहीं है। माईवेल्थग्रोथ डॉट कॉम के सह-संस्थापक हर्षद चेतनवाला समझाते हैं, 'बजट के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। आम बजट में क्या हो सकता है, यह सोचकर या सुनकर निवेश या अपने पैसे के बारे में कोई भी फैसला मत लीजिए।'कर से जुड़ी अफवाह करें अनसुनी कर से संबंधित नियमों में बदलावों की अफवाहों या अटकलों पर ध्यान देकर शेयर न तो खरीदें और न ही बेचें। उदाहरण के लिए हर साल यह अफवाह सामने आ जाती है कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर की दरों में बढ़ोतरी होने जा रही है। यह सब सुनकर संपत्ति बेचने और वर्तमान दरों पर मुनाफा वसूली करने अथवा घाटा उठाने की कोई तुक नहीं है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल धवन कहते हैं, 'कर दरों में बदलाव की अटकलें सुनकर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव मत कीजिए क्योंकि अक्सर ऐसे बदलावों के साथ निवेशकों को चोट से बचाने वाले प्रावधान भी लाए जाते हैं।' कौन सा वित्तीय उत्पाद या योजना खरीदना है अथवा नहीं खरीदना है, इसका फैसला अपनी जरूरत के मुताबिक करें, उस पर मिलने वाले कर लाभ को ध्यान में रखकर नहीं। मिसाल के तौर पर यदि आपने आवास ऋण लिया है या आपके ऊपर कोई नई देनदारी आ गई है तो आपको अपने टर्म बीमा की कवर राशि में इजाफा कर लेना चाहिए। यह काम आपको करना ही चाहिए, चाहे धारा 80सी के तहत कर में कटौती की सीमा आने वाले बजट में बढ़ाई जाती है या नहीं बढ़ाई जाती है।खास क्षेत्र पर दांव से बचें अगर बाजार में यह अफवाह चल रही है कि सरकार अमुक क्षेत्र के लिए खास छूट, रियायत या प्रोत्साहन की घोषणा कर सकती है तो उसी से उत्साहित होकर उस क्षेत्र के फंड या किसी खास थीम वाले फंड में शेयर खरीदना शुरू मत कर दीजिए। बजट के दस्तावेज बेहद गोपनीय तरीके से तैयार किए जाते हैं। ट्रांसेंड कैपिटल में निदेशक (निवेश सेवा) कार्तिक जवेरी भी इस बारे में आगाह करते हैं। वह कहते हैं, 'इस तरह के दांव खेलने में बहुत बड़ा जोखिम रहता है क्योंकि हो सकता है कि किसी खास क्षेत्र को लाभ दिए जाने की अफवाहें बजट आने पर कोरा झूठ साबित हो जाएं।' सच तो यह है कि क्षेत्रों या उद्योगों पर असली असर बजट की घोषणाएं सामने आने के बाद ही होता है। माईवेल्थग्रोथ डॉट कॉम के सह-संस्थापक हर्षद चेतनवाला कहते हैं, 'बजट की घोषणाएं उस क्षेत्र के लिए सकारात्मक भी हो सकती हैं और नकारात्मक भी। कई बार निवेशक बजट से पहले ही उसके असर के बारे में धारणा बना लेते हैं और उसी के हिसाब से शेयर खरीदने या बेचने का फैसला कर लेते हैं। जल्दबाजी में काम करने पर आपके फैसले गलत साबित हो सकते हैं। इसलिए अच्छा यही है कि सब्र से काम किया जाए। पहले समझा जाए कि बजट का दीर्घकालिक असर क्या होगा और उसी के हिसाब से रकम लगाई जाए।'संपत्ति आवंटन में बदलाव? पिछले 18 महीने से लगातार उफान के कारण इस समय शेयर बाजार में मूल्यांकन काफी ऊंचा हो गया है। इसके साथ ही कई तरह की वृहद आर्थिक चुनौतियां भी हैं, जैसे जिंस की कीमतों में उतार-चढ़ाव, दुनिया भर में बढ़ती महंगाई और देश तथा दुनिया के दूसरे मुल्कों में दरों में इजाफे की आशंका। 1 फरवरी को आने वाले बजट के पिटारे में भी कुछ हैरान करने वाली बातें हो सकती हैं, जो सकारात्मक भी हो सकती हैं और नकारात्मक भी। कई खुदरा निवेशक अभी इसी ऊहापोह में पड़े हैं कि बजट से पहले शेयरों में अपना निवेश कम किया जाए या नहीं। अगर शेयर बाजार की दौड़ में आपने भी चांदी काटी है और आपके पोर्टफोलियो में मौजूद शेयरों पर अच्छा खासा प्रतिफल मिल चुका है तो आपको भी उसे नए सिरे से संतुलित करने की जरूरत है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल धवन कहते हैं, 'यदि आपके पोर्टफोलियो में शेयरों की हिस्सेदारी या निवेश बहुत अधिक हो गया है तो आप उसे फौरन पुनर्संतुलित कर डालिए और उसे अपने दीर्घकालिक रणनीतिक संपत्ति आवंटन के हिसाब से उसमें बदलाव कर लीजिए।' वह यह भी समझाते हैं कि यह फैसला बजट के बारे में चल रही अटकलों पर आधारित नहीं होना चाहिए। भारतीय निवेशक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंडों में भी निवेश करने लगे हैं और उनका निवेश लगातार बढ़ रहा है। धवन कहते हैं, 'आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो के इस हिस्से की ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस हिस्से पर आम बजट का कोई खास असर नहीं पडऩा है।' जवेरी की सलाह भी कुछ अलग नहीं है। वे भी दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान देने के लिए कहते हैं। उनकी सलाह है, 'पोर्टफोलियो का नए सिरे से संतुलन करें तो अपनी कुल रणनीति और वित्तीय योजना के हिसाब से ही चलें।' पुनर्संतुलन की कवायद के समय निवेशकों को कम गुणवत्ता वाले ऐसे शेयरों या चवन्नी शेयरों को अपने पोर्टफोलियो से निकल फेंकना चाहिए, जो बिना किसी बुनियाद के या बिना किसी ठोस कारण के ऊपर चढ़ते चले आए हैं। अंत में आपको कुछ आंतरिक कारकों पर ज्यादा नजर डालने की जरूरत होगी। इस बारे में धवन कहते हैं, 'जब भी आप निवेश से जुड़े फैसले लें तो इस पर गौर नहीं करें कि बजट में क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता है। उसके बजाय अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम लेने की भूख और निवेश का समय ध्यान में रखें।' बजट से पहले जानें कुछ बातेंबेसिक छूट सीमा अधिकतम आय, जिस पर किसी तरह का आयकर नहीं वसूला जाता है। यदि आपकी आय इस सीमा से ऊपर निकल जाती है तो आय के ऊपर निकले हुए हिस्से पर ही कर लिया जाता है अधिभार एवं उपकर आयकरदाता द्वारा दिए जाने वाले मूल कर पर अतिरिक्त शुल्क या कर वसूले जाते हैं। अधिभार तब लिया जाता है, जब करदाता की आय अनुमन्य सीमा से ऊपर निकल जाती है। उपकर सभी करदाताओं से लिया जाता है कटौती कटौती का मतलब है कि आपकी कर योग्य आय में से घटाई जाने वाली धनराशि। सरकार कटौती का फायदा इसलिए देती है ताकि लोगों को कुछ खास योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेछूट छूट का मतलब है कर से मुक्ति यानी आपको कर नहीं चुकाना पड़ेगा। कृषि से होने वाली आय, अनिवासी (विदेशी) खातों पर ब्याज, धारा 10(10) के तहत प्राप्त ग्रैच्युटी आदि आयकर से पूरी तरह मुक्त हैं पूंजीगत लाभ किसी पूंजीगत संपत्ति के अंतरण से होने वाले मुनाफे को पूंजीगत लाभ कहते हैं। संपत्ति आपने अपने पास कितने समय तक रखी है, उसके आधार पर लाभ दीर्घावधि भी हो सकते हैं और अल्पावधि भी। यदि तय अवधि से अधिक समय तक संपत्ति रखी जाती है तो उससे होने वाले लाभ को दीर्घावधि लाभ कहा जाता है और उससे कम समय तक संपत्ति रखने पर अल्पावधि लाभ होता है। दीर्घावधि और अल्पावधि पूंजीगत लाभ के लिए कर की दरें अलग-अलग होती हैं
