अमेरिका में 3.7 से 3.8 गीगाहट्र्ज बैंड पर 5जी नेटवर्क की शुरुआत ने विमानन सुरक्षा की चिंता की ओर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि यह वेवलेंथ रेडियो अल्टीमीटर संकेतों के साथ हस्तक्षेप करती है। अमेरिका के ही अन्य 5जी नेटवर्क तथा अन्य देशों में भी 5जी नेटवक्र्स के साथ ऐसी दिक्कत नहीं आई है क्योंकि ये अलग-अलग वेवलेंथ पर संचालित होते हैं। दुनिया के 90 से अधिक देशों में 75 करोड़ से अधिक लोग 5जी का इस्तेमाल शुरू कर चुके हैं तथा 130 देशों ने 5जी तकनीकों में निवेश किया है। भारत में सेवा प्रदाताओं ने परीक्षण किया है लेकिन हमारे यहां 2022 के अंत से पहले 5जी नेटवक्र्स का वाणिज्यिक इस्तेमाल शुरू नहीं हो सकेगा। यह बात हमें शेष विश्व से कई वर्ष पीछे धकेल देती है। यह दुखद है। भारत 3जी और 4जी तकनीक अपनाने में भी शेष विश्व से पीछे था। हर बार इसे अपनाने में नीतिगत समस्याएं आड़े आईं। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन सभी का कहना है कि वे 5जी को अपनाने के लिए तैयार हैं और कीमत तथा नीतिगत स्पष्टता होने पर वे सेवा शुरू कर सकती हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मार्च में होने वाली 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की कीमत तय करने तथा अन्य मानकों को लेकर सार्वजनिक टिप्पणियां बंद कर दी हैं। यदि नीलामी सफल रही तो दूरसंचार सेवा प्रदाता 5जी सेवा देना शुरू कर सकेंगे। ट्राई ने सबसे पहले 2018 में 5जी स्पेक्ट्रम का आरक्षित नीलामी मूल्य तय करने का प्रयास किया था। सात अरब डॉलर से अधिक का आरक्षित मूल्य, नकदी की कमी और कर्ज से जूझ रहे दूरसंचार उद्योग के लिए बहुत ज्यादा था। 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम के ऊंचे शुल्क ने कंपनियों की हालत खस्ता कर दी थी। इसके अलावा सरकार भी समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की व्यापक परिभाषा के तहत राजस्व हिस्सेदारी मांग रही थी। एक दशक के विवाद के बाद उसने 2021 के अंत में एजीआर को सही ढंग से परिभाषित किया। तकनीक को देरी से अपनाने से तमाम अवसर गंवाने पड़े। तेज और विश्वसनीय नेटवर्क कारोबारों तथा सरकारी सेवाओं की सक्षम आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। 5जी को अपनाने में देरी से होने वाला नुकसान 4जी या 3जी से बहुत अधिक होगा। व्यवहार में नए नेटवर्क 4जी की तुलना में पांच से 10 गुना तेज हैं। इनके जरिये उपभोक्ता 60 मिनट का वीडियो चंद सेकंड में डाउनलोड कर सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक 5जी का केवल 10-15 फीसदी राजस्व वॉइस और डेटा से आएगा जबकि शेष मूल्यवद्र्धित सेवाओं से हासिल होगा। विभिन्न उपक्रम उच्च गति के आधार पर नई दिशाओं में इनका प्रयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता-तथाकथित मेटावर्स या वेब3 को अबाध रूप से मोबाइल पर उपलब्ध कराया जा सकता है। पलक झपकते ही मशीनें आपस में संवाद कायम कर सकेंगी। इससे इंटरनेट की दिशा में नई प्रगति होगी। यह सब स्वचालित ड्रोन और चालकरहित कारों को एक दूसरे से बिना समय गंवाए संवाद करने में सक्षम बना सकता है। इससे वे ज्यादा सुरक्षित भी होंगे और बेहतर भी। 5जी तकनीक 60 गीगाहट्र्ज जैसी बैंडविड्थ को अपनाकर निजी नेटवर्क को तेजी से स्थानीयकृत करने की इजाजत देता है, फिलहाल इसे इन्हीं उद्देश्यों के लिए आरक्षित रखा गया है। इससे सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क तैयार करना आसान होगा। 5जी की शुरुआत से सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर सरकार ने अगर व्यापक दृष्टि अपनाई होती तो उसे वस्तु एवं सेवा कर तथा अन्य करों से काफी अधिक लाभ हुआ होता। स्पेक्ट्रम से अधिकतम राशि हासिल करने की कोशिश में एक के बाद एक सरकारों ने गलती की है। आशा है 5जी का आरक्षित मूल्य समझदारीपूर्वक तय किया जाएगा और ऐसी कोई नीतिगत अस्पष्टता नहीं होगी जिनके कारण अतीत में विवाद और कानूनी उलझनें होती रही हैं।
