कच्चे माल के दामों से अल्कोबेव बाजार को झटका | शर्लिन डिसूजा / मुंबई January 21, 2022 | | | | |
घरेलू अल्कोहल पेय (अल्कोबेव) उद्योग उन उद्योगों में शामिल हैं, जिन पर सर्वाधिक असर पड़ा है, क्योंकि वैश्विक महामारी की वजह से उपजे लॉकडाउन और प्रतिबंधित आवागमन के कारण बाहरी बिक्री प्रभावित हुई है।
उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार रेडी-टु-ड्रिंक बाजार को बीयर के बाद दूसरी बार सबसे जोरदार झटका लगा है, जिसमें वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 के दौरान खपत में 39 प्रतिशत की गिरावट दिखाई दी है। वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में साइडर की खपत आधी रह गई। वर्ष 2021 में कुछ सुधार देखा गया था, लेकिन उद्योग भागीदारों का कहना है कि बिक्री अब भी वर्ष 2019 के स्तर से कम है।
जहां एक ओर उद्योग कम खपत के कारण बिक्री में कमी से परेशान है, वहीं दूसरी ओर इसे कच्चे माल की लागत में इजाफे की दिक्कतों से भी जूझना पड़ रहा है, जिसमें कांच और पॉलीथिलीन टेरेफ्थैलेट बोतलें, अतिरिक्त न्यूट्रल अल्कोहल, ढक्कन, कार्टन और लेबल शामिल हैं। अल्कोहल के दामों को नियंत्रित करने वाली राज्य सरकारों की वजह से उद्योग कच्चे माल की लागत में वृद्धि को संतुलित करने के लिए दामों में वृद्धि नहीं कर पाया है।
इंटरनैशनल वाइन ऐंड स्पिरिट रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2020 के दौरान अल्कोहलयुक्त पेय पदार्थों की कुल खपत 29 प्रतिशत कम रही।
हालांकि रेडी-टु-ड्रिंक खंड का योगदान बहुत कम होता है, लेकिन बीयर की खपत का योगदान अल्कोबेव उद्योग में 40 प्रतिशत रहता है। बीयर को भी गंभीर असर का सामना करना पड़ा है। न केवल बाहरी खपत ही सीमित है, बल्कि महामारी के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा बीयर के मुकाबले घर पर स्पिरिट के सेवन को पसंद करने से भी इस पर असर पड़ा है। एक वजह यह भी रही है कि व्हिस्की, रम या वोदका की तुलना में बीयर कहीं जल्दी खराब होती है। अन्य स्पिरिट के विपरीत बीयर को कम तापमान पर रखने की आवश्यकता होती है।
बडवाइजर और कोरोना जैसे बीयर ब्रांड बेचने वाली एबी इनबेव इंडिया पर भी कच्चे माल की अधिक कीमतों का असर पड़ा है।
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