सरकार ने संकेत दिए हैं कि अगर नियामक कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मार्केटिंग की अनुमति के लिए विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशोंं को स्वीकार करता है तो संभवत: कुछ शर्तें रखीं जा सकती हैं। अभी इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि टीके की मार्केटिंग की अनुमति का मतलब आम जनता के लिए यह दवा की दुकानों पर उपलब्ध होगा या नहीं और क्या टीका निर्माताओं को स्वतंत्र रूप से टीका बेचने की अनुमति होगी? स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, 'यह मंजूरी कुछ शर्तों के साथ होगी या नहीं इसका पता भविष्य में ही चल पाएगा। एक बार जब इस पर फैसला होगा तभी इन सवालों के जवाब मिलेंगे।' विशेषज्ञों का कहना है कि सैद्धांतिक रूप से इस तरह की मंजूरी का अर्थ यह होगा कि टीका निर्माता खुले बाजार में बिक्री कर पाएंगे हालांकि कीमतों पर कुछ नियंत्रण होगा लेकिन ऐसा दो कोविड टीकों के लिए नहीं हो सकता है जिन्हें आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में निदेशक (हेल्थ इकॉनामिक्स, फाइनैंसिंग, पॉलिसी) शक्तिवेल सेल्वाराज कहते हैं, 'ये टीके हैं न कि दवा। ऐसे मेंं इनके लिए अतिरिक्त मंजूरी और शर्तें तय करने की जरूरत होगी।' दूसरा विकल्प यह होगा कि इनको डॉक्टर की पर्ची के जरिये ही उपलब्ध कराया जाए या फिर इसकी बिक्री केवल डॉक्टरों को ही की जाएगी जो अपने क्लिनिकल निदान में यह फैसला करें कि किनको ये टीके दिए जा सकते हैं। मिसाल के तौर पर एक 59 वर्ष का व्यक्ति अभी बूस्टर टीके के लिए पात्र नहींं हैं और उसकी स्वास्थ्य की स्थिति और अन्य बीमारियों को देखते हुए डॉक्टर ही इसकी अनुमति दे सकते हैं। वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में क्लिनिकल वायरोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठ विषाणुविज्ञानी जैकब जॉन कहते हैं, 'ऐसा कैंसर की दवा के मामले में भी किया गया है। मरीजों के बजाय डॉक्टरों को अधिकृत डीलरों या टीका निर्माता से दवा मिलेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि पूरा अधिकार मिलेगा लेकिन मार्केटिंग का लाइसेंस नहींं होगा।' लेकिन सवाल यह है कि टीका निर्माता किसी भी तरह की विपरीत प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होंगे? विशेषज्ञ इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं हैं। एक वरिष्ठ दवा विशेषज्ञ कहते हैं, 'कई विपरीत प्रतिक्रिया वाले मामले देखे गए हैं लेकिन कंपनियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।' अन्य लोगों की तरह जॉन का भी मानना है कि बाजार में बिक्री की मंजूरी मिलने का मतलब यह होगा कि कंपनी किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है और सारी जवाबदेही डॉक्टर या मरीज की ही होगी। दूसरा सवाल यह है कि जॉन जैसे विशेषज्ञों ने कोविशील्ड की सुरक्षा और टीके को सुरक्षित बताने के लिए विषय विशेषज्ञ समिति ने जिस डेटा का इस्तेमाल किया उस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि किसी ने भी डेटा का ब्योरा विस्तार से नहीं दिया। जॉन का कहना है, 'टीकाकरण की वजह से विपरीत प्रभाव को लेकर भारत में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। इसके जुड़े डेटा भी विस्तार से साझा नहीं किए गए हैं।'
