हाल में मांग में रहने वाले फ्लोटर फंड में नवंबर और दिसंबर के दौरान शुद्ध निकाासी देखी गई है। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि तरलता संकुचन के बीच डेट श्रेणी में प्रवाह नकारात्मक रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में ओपन-एंडेड डेट श्रेणी में 49,154.1 करोड़ रुपये का शुद्ध बहिर्वाह नजर आया है। फ्लोटर रेट फंडों में भी नवंबर और दिसंबर के दौरान क्रमश: 5,169.19 करोड़ रुपये और 6,460.18 करोड़ रुपये का शुद्ध निकासी देखी गई है। ट्रस्ट म्युचुअल फंड के मुख्य कार्याधिकारी संदीप बागला कहते हैं कि फ्लोटर फंड इस बात का संकेत देते हैं कि ब्याज दरें बढऩे पर, वे बेहतर प्रतिफल प्रदान कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में निवेशक इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि दरों में और इजाफा होगा और इसलिए उन्होंने फ्लोटिंग रेट फंडों में निवेश किया है। अलबत्ता निवेशकों ने शायद यह अनुभव किया होगा कि जब बाजार का प्रतिफल बढ़ता है, तो फ्लोटर्स सार्थक रूप से अलग प्रतिफल देने में असमर्थ हैं। पिछले साल फ्लोटर फंडों ने औसतन 3.79 प्रतिशत का प्रतिफल प्रदान किया है, जो अल्पावधि वाले फंड, लघु अवधि वाले फंड और मध्य अवधि वाले फंडों जैसी अन्य श्रेणियों के मुकाबले कम है। सामान्य निर्धारित दर वाले फंडों के विपरीत फ्लोटर फंड कॉरपोरेट या सरकार द्वारा जारी फ्लोटिंग रेट सिक्योरिटीज में न्यूनतम 65 प्रतिशत निवेश करते हैं या फिक्स्ड इंटरेस्ट सिक्योरिटीज को डेरिवेटिव के जरिये फ्लोटिंग में परिवर्तित करते हैं। फ्लोटिंग रेट बॉन्ड रीपो या तीन महीने के ट्रेजरी बिल जैसी बेंचमार्क दर से जुड़े कूपन की पेशकश करता है। यह कूपन ब्याज दरों में परिवर्तन के संबंध में समय-समय पर पुनव्र्यवस्थित किया जाता है, जो उनकी गतिविधि पर आधारित होता है। मौजूदा परिदृश्य के मद्देनजर बाजार के भागीदारों का कहना है कि हमें दरों में इजाफा देखने को मिल सकता है, जिससे फ्लोटर फंडों को जोखिम- समायोजित बेहतर प्रतिफल सृजित करने में मदद मिलेगी।
