डिजिटल भुगतान सूचकांक में तेजी | सुब्रत पांडा / मुंबई January 19, 2022 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीई) के डिजिटल भुगतान सूचकांक (डीपीआई) ने देश में भुगतान के तेज डिजिटलीकरण के संकेत दिए हैं। इस सूचकांक के मुताबिक सितंबर 2021 में यह बढ़कर 304.6 पर पहुंच गया है, जो मार्च 2021 में 270.59 पर था। इससे देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता और पहुंच बढऩे के संकेत मिलते हैं।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है, 'आरबीआई-डीपीआई सूचकांक देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता और पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि के संकेत दे रहा है।' मार्च 2019 में सूचकांक 153.47 पर था और सितंबर 2019 में यह बढ़कर 173.49, मार्च 2020 में 207.94, सितंबर 2020 में 217.74 और मार्च 2021 में 270.59 पर पहुंच गया।
आरबीआई-डीपीआई का गठन मार्च 2018 में हुआ था और इसका डीपीआई स्कोर 100 तय किया गया था।
डीपीआई सूचकांक में 5 व्यापक मानक होते हैं, जिसके माध्यम से देश में विभिन्न कालखंड के दौरान डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता और पहुंच का मापन किया जाता है। इस मानक में भुगतान सक्षम बनाने वाले कारकों को 25 प्रतिशत अधिभार, मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष के बुनियादी ढांचा के स्तर का अधिभार 10-10 प्रतिशत, भुगतान प्रदर्शन का 45 प्रतिशत और उपभोक्ता केंद्रीकरण को 5 प्रतिशत अधिभार दिया गया है। हर मानक में उप मानक हैं।
कोविड-19 महामारी बढऩे के साथ देश में डिजिटल भुगतान को गति मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 ने देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता को गति दी है और यह 5-10 साल आगे चला गया है।
जेफरीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत बैंकिंग ऐप, कार्डों, यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), मोबाइल वालेट और सरकार संचालित प्रत्यक्ष नकदी अंतरण के द्वारा सालाना 3 लाख करोड़ डॉलर से ऊपर का डिजिटल भुगतान करता है। यूपीआई पेमेंट्स में सबसे ज्यादा तेजी आई है और इसके माध्यम से सालाना लेन देन अगस्त 2021 में बढ़कर 1 लाख करोड़ डॉलर हो गया है। उसके बाद इमीडिएट पेमेंट्स सर्विसेज (आईएमपीएस) का स्थान आता है। मोबाइल वालेट बढ़ रहे हैं, वहीं लेनदेन के बाजार में उनकी हिस्सेदारी कम, सालाना 29 अरब डॉलर है। प्वाइंट आफ सेल मशीन पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड से सालाना लेनदेन 230 अरब डॉलरहै। ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (नेफ्ट) की अभी भी सालाना भुगतान में हिस्सेदारी 3.6 लाख करोड़ डॉलर है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और नियामक के संयुक्त पहल से बहुत तेजी से नकदी लेनदेन की जगह डिजिटल भुगतान बढ़ रहा है। जेएएम (जनधन बैंक खाता), आधार से पहचान और मोबाइल की पहुंच, यूपीआई जैसे भुगतान के नए प्लेटफॉर्म शुरू होने, मोबाइल बैंकिंग, पेमेंट गेटवे, खासकर यूपीआई और डेबिट कार्ड भुगतान के मामले में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को तार्किक बनाए जाने जैसे कदमों का सकारात्मक असर हुआ है।
वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक यूपीआई देश का सबसे लोकप्रिय भुगतान प्लेटफॉर्म रहा है, जिससे 31 अरब से ज्यादा लेन-देन हुए हैं। इससे 2020-21 में करीब 22 अरब लेन-देन हुए थे। कैलेंडर वर्ष 21 में यूपीआई के माध्यम से 38 अरब लेन-देन हुए। नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया से अगले 3 से 5 साल में रोजाना 1 अरब लेन-देन होने का लक्ष्य है।
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