केंद्रीय बजट 2022-23 के पहले बीमाकर्ताओं ने केंद्र सरकार से कई तरह की कर छूट की मांग की है, जिससे भारत के लोगों को जोखिम से जुड़ी पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। परंपरागत रूप से कर छूट उन लोगों को प्रोत्साहित करता है, जो बीमा उत्पाद खरीदते हैं। लेकिन महामारी आने के बाद बीमा उत्पादों, खासकर शुद्ध रूप से जोखिम वाली पॉलिसियों और सुनिश्चित आमदनी देने वाले उत्पादों की मांग बढ़ी है। बहरहाल बीमा उद्योग अभी भी चाहता है कि कर छूट जारी रखा जाए, जिससे लोगों को बीमा कवरेज मिल सके। अगर बीमा की स्थिति देखें तो अब भी भारत में बड़ी आबादी बीमा नहीं कराती है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की 2020-21 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020-21 तक बीमा की पहुंच 4.20 प्रतिशत है, जिसमें से जीवन बीमा की पहुंच 3.20 प्रतिशत और गैर जीवन बीमा की करीब 1 प्रतिशत है। इस समय आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत जीवन बीमा के प्रीमियम का भुगतान करके अपनी कर योग्य आमदनी पर कर छूट का दावा कर सकता है। पीबी फिनटेक के सीईओ और चेयरमैन याशीष दहिया ने कहा कि बजट के हिसाब से देखें तो स्वास्थ बीमा उत्पादों के लिए कर छूट की सीमा बढ़ाकर पूरी तरह से जोखिम वाली पॉलिसियों को बढ़ावा देने और सावधि बीमा पॉलिसियों के लिए अलग से छूट का प्रावधान लाए जाने की जरूरत है। इंडिया फस्र्ट लाइफ इंश्योरेंस के डिप्टी सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा कि धारा 80सी के तहत सीमा बढ़ाने से लोग जीवन बीमा अपनाने के लिए आगे और प्रोत्साहित होंगे। मौजूदा 80सी की सीमा के अतिरिक्त भी जीवन बीमा के लिए अलग से प्रीमियम पर कर छूट के विकल्प रखे जा सकते है।
