तीसरी लहर में संक्रमण बढ़ा पर मौतें कम | रुचिका चित्रवंशी और ईशान गेरा / January 16, 2022 | | | | |
कोरोनावायरस का स्वरूप ओमीक्रोन भले ही दुनिया में जंगल के आग की तरह फैल रहा हो लेकिन भारत में यह स्वरूप अभी तक अधिक घातक नहीं दिखा है। संक्रमण की वजह से मरने वालों की संख्या अक्सर बाद में जारी की जाती है लेकिन महामारी की पिछली लहर से तुलना करने पर पता चलता है कि संक्रमण के मामले भले ही काफी तेजी से बढ़े हों लेकिन मरने वालों की तादाद नहीं बढ़ी है। देश में कोविड मरीजों के मरने की दर करीब 1.3 फीसदी है। 30 दिसंबर 2021 और 16 जनवरी 2022 तक देश में संक्रमण के कुल मामले में लगभग 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि मरने वालों की तादाद में महज 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
देश में वर्ष 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से ही कोविड की वजह से 486,000 से अधिक लोग मरे हैं। विशेषज्ञों का भी कहना है कि मौजूदा लहर में मरने वालों की संख्या कम है, साथ ही अस्पताल में भर्ती होने की दर में भी कमी आई है। इसकी वजह से केवल ओमीक्रोन के घातक न होने वाली प्रवृत्ति भर नहीं है बल्कि बड़ी तादाद में टीकाकरण ने भी इसमें मदद की है। लोगों में संक्रमण से बचाव के प्रति भी स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता देखी जा रही है। देश में 16 जनवरी को टीकाकरण की शुरुआत को एक साल पूरा हो चुका है और करीब 92 फीसदी आबादी को टीके की एक खुराक और करीब 70 फीसदी आबादी को टीके की दो खुराक लग चुकी है।
दिल्ली सरकार के विश्लेषण के मुताबिक ज्यादातर मौत उन लोगों की हुई है जिन्होंने टीके की दोनों खुराक नहीं लीं या जो अन्य बीमारियों से ग्रस्त थे। मुंबई नगर निगम के अध्ययन में पाया गया कि मौजूदा लहर में 96 प्रतिशत लोग, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, उन्होंने टीके नहीं लगवाए थे। मौजूदा तीसरी लहर में जिन राज्यों में संक्रमण की वजह से सबसे ज्यादा मौत हुई, उनमें दिल्ली और पश्चिम बंगाल शामिल है। इस लहर में कोलकाता में 60 प्रतिशत से अधिक संक्रमण दर देखी जा रही है। महामारी की पिछली दो लहर के दौरान महाराष्ट्र में संक्रमण की वजह से ज्यादा मौतें हुईं और कोविड से होने वाली कुल मौतों के लिहाज से राज्य तीसरे स्थान पर रहा। ज्यादातर राज्यों में दूसरी लहर की तेजी खत्म हो रही है लेकिन केरल में डेल्टा लहर का कहर अब भी बरकरार है और यहां संक्रमण के सबसे ज्यादा मामलों के साथ-साथ पिछले कुछ महीने में अधिक मौतें भी देखी गई हैं। तीसरी लहर में मरने वालों की कुल तादाद में केरल की हिस्सेदारी 7.6 फीसदी तक है।
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