जिंसों की ऊंची कीमतें और ओमीक्रोन के चलते दिसंबर के आखिर में नकारात्मक अवधारणा के चलते सालाना आधार पर देसी पूंजीगत सामान कंपनियों के लाभ और राजस्व पर प्रभाव डाल सकता है। यह कहना है ब्रोकरेज फर्र्मों का। रिलायंस कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है, अक्टूबर व नवंबर 2021 में मांग में खासी तेजी देखने को मिली, वहीं दिसंबर में कम बढ़त देखने को मिली, जिसकी वजह कोविड के मामलों में हुई बढ़ोतरी रही। तीसरी तिमाही के दौरान उद्योग कम वॉल्यूम से दो-चार हो सकता है क्योंंकि त्योहारी सीजन कमजोर रहा और ग्रामीण मांग सुस्त रही। लार्सन ऐंड टुब्रो, थर्मेक्स, केईसी इंटरनैशनल और सीमेंस आदि देसी बाजार की पूंजीगत सामान कंपनियां हैं। निर्मल बांग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, हमें उम्मीद है कि थर्मेक्स के राजस्व में बढ़त की रफ्तार बनी रहेगी और यह सालाना आधार पर 20 फीसदी की बढ़त के साथ 16.9 अरब रुपये पर पहुंचेगा। हालांकि हमें लगता है कि एबिटा मार्जिन पर दबाव रहेगा और यह सालाना आधार पर 300 आधार अंक फिसलकर 7.5 फीसदी रह जाएगा क्योंकि कच्चे माल की कीमतें बढ़ी हैं।केईसी इंटरनैशनल का राजस्व सालाना आधार पर 14 फीसदी की बढ़त के साथ 37.5 अरब रुपये हो जाएगा, जिसकी प्रमुख वजह मजबूत ऑर्डर बुक का क्रियान्वयन है। एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 160 आधार अंक घटकर 7.5 फीसदी रह जाएगा, जिसकी वजह जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी है, जो फिक्स्ड प्राइस इंटरनैशनल कॉन्ट्रैक्ट के मार्जिन को प्रभावित करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 14.6 फीसदी घटकर 1.2 अरब रुपये रह जाएगा। ऑर्डर के आवक के लिहाज से समीक्षाधीन अवधि में यह क्षेत्र कमजोरी का सामना कर सकता है। एमके रिसर्च ने कहा, वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में ऑर्डर की गतिविधियां बेहतर रहने के बाद तीसरी तिमाही के पहले दो महीने में ऑर्डर का प्रवाह कमजोर रहा है। यह गिरावट 20 से 30 फीसदी तक है, जिसका कारण पिछले साल हाई-स्पीड रेल के लिए पिछले साल मिला बड़ा ऑर्डर है। रेल व मेट्रो के क्षेत्र में ऑर्डर तो हैं, लेकिन इनका आकार काफी छोटा है।रिलायंस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, एलऐंडटी ने दिसंबर तिमाही में 300 अरब रुपये के ऑर्डर की घोषणा की है। उसके पास तिमाही के दौरान सभी साइटों पर 2.5 लाख कर्मी हैं और श्रमिक की उपलब्धता कमोबेश स्थिर है। आपूर्ति शृंखला के अवरोध और इस अवधि में देर से निर्यात के कारण इसके क्रियान्वयन पर मामूली असर दिख सकता है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कुल मिलाकर ऑर्डर का प्रवाह ठीक-ठाक बना रह सकता है और चौथी तिमाही में प्रमुख क्षेत्रों में कुछ परियोजनाएं टल सकती हैं। ब्रोकरेज ने कहा, ऑर्डर की गतिविधियों ने जोर पकड़ा है, जिसकी अगुआई सरकार की तरफ से रेलवे, सड़क, मेट्रो और बिजली पारेषण-वितरण और तेल व गैस पर ज्यादा खर्च है। निजी क्षेत्र में पूंजीगत खर्च सुस्त है और अगली कुछ तिमाहियों में यह जोर पकड़ सकता है, जो सरकारी पहल मसलन उत्पादन से जुड़ाव वाली प्रोत्साहन योना की अगुआई में होगा।पूंजीगत सामान क्षेत्र लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है मसलन जिंसों की बढ़ती कीमतें, ऊंची परिवहन लागत और वैश्विक स्तर पर आवाजाही की चुनौतियों के कारण आयातित कलपुर्जे की किल्लत आदि। निर्मल बांग ने कहा, पूंजीगत सामान क्षेत्र में पूंजीगत चक्र में सुधार, ऑर्डर प्रवाह और कार्यशील पूंजी पर विपरीत असर आदि पर नजर रखी जाएगी।
