बीएस बातचीत नोमुरा के प्रबंध निदेशक और इक्विटी अनुसंधान प्रमुख सायन मुखर्जी का कहना है कि दमदार घरेलू तरलता और जोरदार आय वृद्धि की उम्मीदों से बाजारों में तेजी से होने वाले सुधार को बढ़ावा मिल रहा है। समी मोडक को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अन्य उभरते बाजारों (ईएम) के मुकाबले भारत का मूल्यांकन प्रीमियम कम हो जाएगा, क्योंकि तरलता की स्थिति कड़ी हो गई है। संपादित अंश : आप बॉन्ड की बढ़ती प्राप्ति से इक्विटी बाजार पर पडऩे वाले असर को किस तरह देखते हैं? बढ़ती ब्याज दरों का इक्विटी बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यह वृद्धि से इतना अधिक नहीं, बल्कि मुद्रास्फीति के दबावों और अधिक घाटे से प्रेरित है। जैसे-जैसे महामारी का प्रभाव कम होता है, तरलता और दरों का कड़ा होना सामान्य होता जाता है। महामारी के प्रकोप के बाद अभूतपूर्व मौद्रिक प्रोत्साहन से परिसंपत्ति की कीमतों में वृद्धि हुई और जब इसे उलट दिया जाता है, तो इसका नकारात्मक असर होगा। मुद्रास्फीति, नीतिगत सामान्यीकरण और ओमीक्रोन जैसी विपरीत परिस्थितियों का इक्विटी बाजार पर क्या असर होगा? केंद्रीय बैंकों के बहीखातों के विस्तार की दर और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) प्रवाह के बीच एक सहसंबंध है। चूंकि बहीखाते का विस्तार धीमा हो रहा है, हमें भारत में एफआईआई की बिक्री नजर आई है। सामान्यीकरण प्रक्रिया के तहत केंद्रीय बैंक परिसंपत्ति खरीद और धीमी कर देंगे तथा अंतत: बहीखाते में कमी करेंगे। वर्ष 2022 और 2023 में यह जारी रहने की संभावना है। इसलिए वैश्विक तरलता की ओर से समर्थन कम हो जाएगा। ओमीक्रोन की लहर का असर इस तथ्य से सीमित है कि प्रतिबंध सीमित हैं और यह बीमारी अपेक्षाकृत रूप से पहले वाली लहरों जैसी गंभीर नहीं है। फिर भी कुछ नकारात्मक असर रहने के आसार हैं। कैलेंडर वर्ष 22 के लिए हमने अपने वृद्धि अनुमान को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।इस साल भारतीय बाजारों ने अच्छी शुरुआत की है। इसके पीछे कौन-से कारक हैं? हमें लगता है कि एक कारक मजबूत घरेलू तरलता है। एसआईपी में जोरदार तेजी के साथ-साथ म्युचुअल फंडों में अंतर्वाह मजबूत रहा है। प्रत्यक्ष खुदरा भागीदारी भी मजबूत है। एफआईआई की बिकवाली में नरमी से इसे समर्थन मिला है। इस प्रवाह के अलावा मूल रूप से कॉरपोरेट आय की ओर से अपेक्षाएं अधिक बनी हुई हैं।इस वर्ष के लिए प्रतिफल की अपेक्षाएं क्या होनी चाहिए? निफ्टी दिसंबर 2022 का हमारा लक्ष्य 18,150 है, जो यह बताता है कि हम मौजूदा स्तरों से बहुत अधिक रुख की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। बाजार फरवरी 2020 के महामारी से पहले वाले स्तर से 53 प्रतिशत ऊपर है। हमें लगता है कि तरलता में कमी बढऩे से प्रवाह समर्थन कम हो जाएगा।क्या भारत इस साल दोबारा ईएम पैक से बेहतर प्रदर्शन कर पाएगा? भारत ने पिछले साल के मध्य भाग से ही उभरते बाजारों से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। एफटीएसई ईएम के मुकाबले भारत का मूल्यांकन प्रीमियम ऐतिहासिक रूप से लगभग 38 प्रतिशत था, जो अब 72 प्रतिशत है। भारत में वृद्धि की उम्मीदें अन्य उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर थीं और आसान तरलता की स्थिति में वृद्धि की उम्मीदों में बदलाव के प्रत्युत्तर में मूल्यांकन अंतर को बहुत अधिक बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है। हालांकि अगर वृद्धि की उम्मीदों में कमी आती है, तो रेटिंग में और गिरावट आएगी। भारत के बेहतर प्रदर्शन के मद्देनजर क्षेत्रीय दृष्टिकोण से हमने भारत पर अपनी भारिता को ओवरवेट से से घटाकर न्युट्रल कर दिया है।नए जमाने की कंपनियों के बारे में आपका क्या विचार है? नए जमाने की कंपनियां काफी आगे के भविष्य में नकदी प्रवाह के साथ तेजी से बढ़ रही हंै। एक मायने में ये काफी लंबे समय तक चलने वाले शेयर हैं।वित्त वर्ष 23 के लिए आय वृद्धि का क्या अनुमान है? कौन से क्षेत्र वृद्धि का संचालन करेंगे? वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 23 के लिए आय वृद्धि करीब 40 प्रतिशत और सालाना आधार पर 18 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 23 में जो क्षेत्र आय वृद्धि का संचालन करेंगे, वे हैं बैंक/वित्तीय, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, तेल और गैस तथा वाहन (वित्त वर्ष 2012 के कम आधार पर)।
