देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता बढऩे के साथ हर महीने यूपीआई से लेनदेन नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। ऐसे में इस भुगतान प्लेटफॉर्म से रोजाना 1 अरब ट्रांजैक्शन की उम्मीद करना तार्किक लगता है। देश में डिजिटल भुगतान प्रणाली के संगठन नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) के एमडी और सीईओ दिलीप असबे ने कहा कि एनपीसीआई ने अगले 3 से 5 साल में रोजाना 1 अरब ट्रांजैक्शन का लक्ष्य रखा है। इंडिया डिजिटल समिट में बात करते हुए असबे ने कहा, 'अगर हम कुछ भी न करें तो यह लक्ष्य 10 साल में पूरा हो जाएगा। लेकिन हम ऐसा अगले 3 से 5 साल में कर सकते हैं, जिसके लिए पूरा वातावरण है। मौजूदा लेनदेन की तुलना में यह सिर्फ 5 से 6 गुना वृद्धि है।' उन्होंने कहा, 'किसी देश की डिजिटल भुगतान की क्षमता आबादी से जुड़ी हुई है और हमारे यहां बड़ी आबादी है। ऐसे में 1 अरब ट्रांजैक्शन रोजाना का लक्ष्य साफतौर पर 3 से 5 साल में संभव है।' असबे ने कहा कि यह लक्ष्य अगले 3 से 5 साल में हासिल करने के लिए जरूरी है कि हम जीरो अप्रोच अपनाएं जिसमें जीरो टच (संपर्करहित), जीरो टाइम (नकदी की तुलना में तेजी से) और जीरो कॉस्ट (शून्य लागत) शामिल है। अगर यह 3 जीरो हो जाता है तो अगले 3 से 5 साल में 1 अरब ट्रांजैक्शन रोजाना संभव है। इसके साथ ही ग्राहकों की उच्च स्तर की शिक्षा और डिजिटल भुगतान को लेकर जागरूकता, तेज ढांचा और कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी जरूरी है। मूल्य और मात्रा दोनों हिसाब से 2021 यूपीआई के लिए शानदार साल रहा है। कैलेंडर वर्ष 2021 में यूपीआई से 71.59 लाख करोड़ रुपये के 38 अरब से ज्यादा लेनदेन हुए। वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक इसके माध्यम से 31 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए हैं, जो 2020-21 के 22 अरब ट्रांजैक्शन के आंकड़ों को पार कर चुका है। वित्त वर्ष 22 में 40-42 अरब लेनदेन का लक्ष्य रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूपीआई में अगले चरण की वृद्धि ऑटोपे फीचर से आएगी, जिससे 5,000 रुपये तक केे आवर्ती भुगतान की अनुमति है। भुगतान शुल्क के बारे में असबे ने कहा कि उपभोक्ता के लिए यह पूरी तरह मुफ्त होना चाहिए। डिजिटल भुगतान का संचालन ग्राहकों द्वारा है, न कि व्यापारियों द्वारा। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मैं ग्राहकों से शून्य शुल्क लिए जाने पर जोर देता हूं क्योंकि आप उनके लिए किसी तरह का प्रतिरोध पैदा करना नहीं चाहते।
