'मोलनुपिराविर से स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं' | सोहिनी दास / January 09, 2022 | | | | |
अमेरिकी दवा कंपनी मर्क ने कहा है कि रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स की मदद से तैयार उसकी विषाणु रोधी दवा मोलनुपिराविर के इस्तेमाल के बाद कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। इस दवा के इस्तेमाल से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर बहस छिडऩे के बीच कंपनी ने यह बयान दिया है। मर्क ने एक बयान जारी कर कहा, 'मोलनुपिराविर सुरक्षित है और स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की अब तक कोई बात सामने नहीं आई है। तीसरे चरण में इस दवा के परीक्षण के दौरान पता चला है कि यह अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु की आशंका काफी हद तक कम कर देती है।' कंपनी ने दावा किया कि यह दवा सार्स-कोव-2 वायरस के स्वरूपों जैसे डेल्टा, गामा और मू की प्रतिकृति (रेप्लिकेशन) काफी कम कर देती है।
बयान में कहा गया है, 'मोलनुपिराविर तैयार करने में पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल किया गया है। यह दवा स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों और कुछ खास लक्षण वाले मरीजों के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है। एक खुराक के रूप में मुंह के जरिये दी जाने वाली यह दवा सार्स-कोव-2 वायरस का शरीर में रेप्लिकेशन रोक देती है। परीक्षण के बाद सामने आए तथ्यों के अनुसार यह डेल्टा, गामा और मू आदि स्वरूपों से लडऩे में मरीजों की काफी मदद करती है।' हालांकि बयान में यह भी कहा गया है कि कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन के इलाज में इसे नहीं आजमाया गया है।
एमएसडी इंडिया (मर्क) ने कहा, 'कोविड-19 वायरस का संक्रमण फिर बढऩे लगा है और नए-नए स्वरूप सामने आ रहे हैं इसलिए अतिरिक्त इलाज के साधनों की भी जरूरत बढऩे लगी है। किसी मरीज को कौन सी दवा दी जाए इसका निर्णय चिकित्सकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।' मोलनुपिराविर को भारतीय दवा महानिरीक्षक (डीसीजीआई) से अनुमति मिलने के बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक ने कहा था कि कुछ सुरक्षा चिंताओं की वजह से यह दवा नैशनल क्लिनिकल प्रोटोकॉल में शामिल नहीं की जा रही है। भार्गव ने कहा था कि मोलनुपिराविर गर्भ में विकसित होने वाले भ्रूण में त्रुटियां पैदा कर सकती है और मांशपेशियों के साथ उपास्थि को भी नुकसान पहुंचा सकती है। भार्गव ने यह भी कहा था कि मोलनुपिराविर से कोशिका की जीन संरचना में भी स्थायी बदलाव आने की भी आंशका है।
उन्होंने कहा था कि प्रजनन काल में पहुंच चुके मरीजों को कम से कम तीन महीने तक गर्भ निरोधक दिए बिना यह दवा नहीं दी जा सकती है। कर्नाटक में कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए गठित कार्य बल के सदस्य डॉ. सत्य नारायण मैसूर ने कहा कि सरकार को इस दवा पर स्थिति स्पष्टï करनी चाहिए। हालांकि इस पर अपनी प्रतिक्रिया में एमएसडी ने कहा, 'डीसीजीआई ने कोविड-19 से संक्रमित ऐसे मरीजों को यह दवा खिलाने की आपात मंजूरी दी थी जो अस्पताल में भर्ती नहीं हुए हैं। आपात इस्तेमाल के आधार पर मोलनुपिराविर चिकित्सक की सलाह के आधार पर उपयुक्त मरीजों को दी जाएगी।'
कंपनी ने कहा कि भारत में जेनेरिक दवाएं बनाने वाली आठ कंपनियों को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। कंपनी ने कहा कि इन कंपनियों ने एमएसडी के साथ लाइसेंस से जुड़े समझौते किए हैं। कुल मिलाकर डीसीजीआई ने 13 कंपनियों को यह दवा बनाने और बेचने की इजाजत दी है। दवा कंपनियों ने भारत में यह दवा उतारनी भी शुरू कर दी है। एक दवा कंपनी के वरिष्ठï अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस दवा पर अब विवाद खड़ा होने से कई डॉक्टर मरीजों को यह दवा नहीं लिख सकते हैं।
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