संक्रमण बढ़ा तो चरमराएगी स्वास्थ्य सुविधा | सोहिनी दास, रुचिका चित्रवंशी, ईशान गेरा और शाइन जैकब / January 09, 2022 | | | | |
देश में कोविड-19 संक्रमण इसी तरह बढ़ते रहे तो स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि अब तक अच्छी बात यह रही है कि जिन क्षेत्रों में संक्रमण के मामले अधिक दिख रहे हैं वहां संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर 1.2 से 2.0 प्रतिशत रही है। देश में रविवार को पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 संक्रमण के 1.60 लाख से अधिक मामले आए। दुनिया के अन्य देशों में ओमीक्रोन के असर के लिहाज से बात करें तो दक्षिण अफ्रीका में अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की दर करीब 3 प्रतिशत रही थी। भारत में डॉक्टरों को लगता है कि यहां यह दर 1.5 से 2 प्रतिशत के बीच रह सकती है।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट की क्षेत्रीय निदेशक ऋतु गर्ग ने कहा कि पिछले वर्ष इस वायरस की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली मे जब 1,500 मामले आए थे तो उनके अस्पताल में 80 लोग भर्ती हुए थे। गर्ग ने कहा कि इस बार दिल्ली में 15,000 से मामले अधिक होने पर भी अस्पताल में केवल 12 मरीज हैं। मुंबई के नगर निकाय ने भी इसी ओर इशारा दिया है। इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, 'दूसरी लहर के दौरान जब मुंबई में 91,108 सक्रिय मामले थे तो उस समय ऑक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तर 85 प्रतिशत तक भर गए थे और आईसीयू बेड भी कम पडऩे लगे थे। इस बार हालत उतनी खराब नहीं है। फिलहाल ऑक्सीजन की सुविधा वाले केवल 27 प्रतिशत बेड भरे हैं और आईसीयू बिस्तर 30 प्रतिशत तक भरे हैं। यह स्थिति तब है जब सक्रिय मामले 91,000 से अधिक हो चुके हैं।'
अहमदाबाद की बात करें तो शहर के करीब 45 अस्पतालों में कुल 2,150 बिस्तर हैं। इनमें 30 बेड पृथकवास के लिए रखे गए हैं और बिना वेंटिलेटर सुविधा वाले 14 आईसीयू बेड पर मरीज है। केवल तीन मरीज वेंटिलेटर पर हैं। अहमदाबाद हॉस्पिल्स ऐंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (एएचएनए) के भारत गाढवी ने कहा कि यह क्षमता बढ़ाकर कुल 6,000 तक की जा सकती है। हालांकि हालात यहां से से अब थोड़े बिगड़ सकते हैं। उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक शुचिन बजाज कहते हैं, 'भारत में अब रोजाना 1 लाख से अधिक मामले आ रहे हैं। ऐसी आशंका है कि संक्रमण के मामले बढ़कर प्रति दिन कम से कम 5 लाख तक हो सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि रोजाना 10,000 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की जरूरत होगी। यह एक बड़ी संख्या है और इससे निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।'
हैदराबाद में यशोदा हॉस्पिटल्स ग्रुप के डॉक्टर गोपी कृष्णा ने कहा कि अगर पड़ोसी जिलों से मरीज आने शुरू हो जाएंगे तो शहर के अस्पतालों पर दबाव बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, 'जब महाराष्टï्र में मामले बढ़ेंगे तो अगल-बगल के जिलों के लोग इलाज के लिए हैदराबाद आएंगे।' वैसे तो प्रत्येक शहर संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं मगर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में असंतुलन थोड़ा अधिक हो सकता है। इससे अधिक से अधिक लोग बीमार पड़ते जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर और पश्चिम भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव अंसतुलित और अलग-अलग रह सकता है।
तमिलनाडु और केरल ने संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों के इलाज पर अधिक जोर दिया है ताकि जरूरतमंद लोगों के लिए अधिक से अधिक बिस्तर उपलब्ध हो सके। पिछले एक सप्ताह में तमिलनाडु में सक्रिय मामलों की संख्या 3 प्रतिशत बढ़ गई है वहीं अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। आईसीयू की जरूरत वाले मरीजों की संख्या भी 10 प्रतिश तक बढ़ गई है।
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